अपडेटेड 31 May 2025 at 07:52 IST
Shani Stotra: साढ़ेसाती और ढैय्या से चाहिए छुटकारा तो शनिवार को करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ
Shanidev ki Sadesati: अगर आपके जीवन में शनिदेव की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है और आप इससे काफी परेशान हैं तो आपको शनिवार के दिन शनिदेव के चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
- धर्म और अध्यात्म
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Shani Stotra: शनिदेव (Shanidev) की साढ़ेसाती और ढैय्या जीवन में कई बार आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं और कार्यों में रुकावटों का कारण बनती है। ऐसे समय में धार्मिक उपायों का सहारा लेना मानसिक और आध्यात्मिक रूप से बल प्रदान करता है। साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा पाने के लिए जरूरी है कि आप शनिवार के दिन शनिदेव की विशेष पूजा करें। इन पूजा को करने के साथ-साथ आपको शनिदेव के एक खास स्तोत्र का पाठ भी करना चाहिए।
शनिवार के दिन 'दशरथकृत शनि स्तोत्र' (Dashrathkrit Shani Stotra) का पाठ करना अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। यह स्तोत्र राजा दशरथ द्वारा रचा गया था, जब उन्होंने शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए गहन तप और स्तुति की थी। आइए जानते हैं कि इस स्तोत्र के लिरिक्स किस प्रकार से हैं।
दशरथकृत शनि स्तोत्र (Dashrathkrit Shani Stotra)
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
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नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
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नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।
शनिदेव के मंत्र
- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
- ॐ कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि।
तन्नः मन्दः प्रचोदयात्॥ - ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥ - ॐ नमः शनैश्चराय कष्टनिवारणाय स्वाहा।
- अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।। - ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 31 May 2025 at 07:52 IST