अपडेटेड 5 April 2025 at 22:02 IST

माता शबरी ने कैसे बचाई लक्ष्मण की जान? पढ़ें पूरी कथा

Shabari Ramayana Story in Hindi: माता शबरी के बेरों ने कैसे लक्ष्मण की जान बचाई? जानते हैं इसके बारे में...

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shabari ber | Image: social media

आपने सुना होगा कि माता शबरी ने श्री राम को झूठे बेर खिलाए। हालांकि वो बेर केवल श्री राम ने ही खाए। उनके भाई लक्ष्मण ने नहीं खाए। लेकिन बहुत ही कम लोग हैं जो जानते हैं कि शबरी के उन्हीं बेरों से लक्ष्मण जी के प्राण बचे थे। जी हां, यह किस्सा बेहद ही अलग है। बता दें कि रामायण में इस किस्से का उल्लेख मिलता है। ऐसे में यह जानना तो बनता है कि माता शबरी के बेरो ने कैसे लक्ष्मण की जान बचाई और यह पूरा किस्सा क्या है।

आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि शबरी के बेरों ने कैसे लक्ष्मण की जान बचाई? जानते हैं इसके बारे में...

माता शबरी के बेरों ने कैसे लक्ष्मण की जान बचाई?

बता दें कि श्री राम के प्रति अपने अनुशासित लगाव के कारण शबरी के भोला प्रेम भाव को लक्ष्मण जी नहीं समझ पाए। ऐसे में जब श्रीराम ने लक्ष्मण जी से कहा कि ये बेर ले लो। तो तब भी लक्ष्मण जी ने शबरी के बेर नहीं खाए। हालांकि रामायण के अनुसार श्री राम ने उन बेरों को बड़ी ही प्रेम से खाया था। ऐसे में लक्ष्मण जी ने श्री राम के उन बेरों की तुलना माता सीता द्वारा बनाए गए अनगिनत मिष्ठानों से कर दी। यह सुनकर लक्ष्मण जी का मन विचलित हो गया और उन्होंने गुस्से में बेरो को नहीं खाया और जब नजर बची तो इतनी दूर बेर फेंकें कि वे द्रोणगिरी पर्वत पर जाकर गिरे। ये भी श्री राम की लीला ही थी और उन्हें आगे की घटना के बारे में पता था। 

ऐसे में जब राम का युद्ध रावण से होने वाला था तो इस दौरान मेघनाथ और लक्ष्मण का भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए। मेघनाथ से युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी को शक्ति लगी। ऐसे में उनके प्राण संकट में आ गए तो हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आए। ये संजीवनी बूटी कोई और नहीं बल्कि वही बेर थे, जिन्हें लक्ष्मण ने द्रोणगिरी पर्वत पर फेंका था। इसी संजीवनी बूटी ने लक्ष्मण जी के प्राण बचाए।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 5 April 2025 at 22:02 IST