अपडेटेड 17 January 2025 at 08:33 IST

Sakat Chauth 2025: आज सकट चौथ पर पढ़ें सकट माता की ये आरती, तभी मिलेगा व्रत का पूरा फल; हर मनोकामना होगी पूरी!

Sakat Chauth 2025: आज सकट चौथ के दिन सकट माता का आशीर्वाद पाने के लिए आपको इस आरती को जरूर पढ़ना चाहिए।

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Sakat Chauth
सकट चौथ 2025 | Image: Shutterstock

Sakat Mata ki Aarti: हिंदू धर्म में सकट चौथ (Sakat Chauth) का बेहद खास महत्व है। हर साल माघ माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत किया जाता है, जो कि इस साल आज यानी शुक्रवार, 17 जनवरी के दिन रखा जा रहा है। इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा के साथ-साथ सकट माता (Sakat Mata) की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है।

माताएं सकट चौथ के दिन अपनी संतान के बेहतर स्वास्थ्य और लम्बी आयु के लिए व्रत करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से सकट माता प्रसन्न  होकर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इतना ही नहीं इस दिन सकट माता का व्रत करने से साधक को संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। ऐसे में आपको सकट माता की पूजा करते समय उनकी आरती जरूर पढ़नी चाहिए। आइए जानते हैं कि सकट माता की आरती किस प्रकार से है।

सकट माता की आरती (Sakat Mata ki Aarti)

जय जय संकटा भवानी,
करहूं आरती तेरी।
शरण पड़ी हूँ तेरी माता,
अरज सुनहूं अब मेरी॥
जय जय संकटा भवानी..॥

नहीं कोई तुम समान जग दाता,
सुर-नर-मुनि सब तेरी।
कष्ट निवारण करहु हमारा,
लावहु तनिक न देरी॥
जय जय संकटा भवानी..॥

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काम-क्रोध और लोभन के वश,
पाप किए घनेरी।
सो अपराध उर में आनहु,
छमहु भूल बहु मेरी॥
जय जय संकटा भवानी..॥

हरहु सकल संताप हृदय का,
ममता मोह निबेरी।
सिंहासन पर आज बिराजें,
चंवर ढ़ुरै सिर छत्र-छतेरी॥
जय जय संकटा भवानी..॥

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खप्पर, खड्ग हाथ में धारे,
वह शोभा नहीं कहत बनेरी।
ब्रह्मादिक सुर पार न पाये,
हारि थके हिय हेरी॥
जय जय संकटा भवानी..॥

असुरों का वध किया,
प्रकटेउ अमृत दिलेरी।
संतों को सुख दिया सदा ही,
टेर सुनत नहीं कियो अबेरी॥
जय जय संकटा भवानी..॥

गावत गुण-गुण निज हो तेरी,
बजत दुंदुभी भेरी।
अस निज जानि शरण में आयऊं,
टेहि कर फल नहीं कहत बनेरी॥
जय जय संकटा भवानी..॥

जय जय संकटा भवानी,
करहूं आरती तेरी।
भव बंधन में सो नहिं आवै,
निशदिन ध्यान धरीरी॥
जय जय संकटा भवानी,
करहूं आरती तेरी।
शरण पड़ी हूं तेरी माता,
अरज सुनहूं अब मेरी॥

गणेश जी के मंत्र (Ganeshji Ke Mantras)

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये।
वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 17 January 2025 at 08:33 IST