अपडेटेड 10 September 2024 at 16:07 IST
Radha Ashtami Katha: इस कथा के बिना अधूरा है राधा अष्टमी की पूजा, मिलती है किशोरी जी की कृपा
Radha Ashtami 2024: हिंदू धर्म में राधा अष्टमी का बेहद खास महत्व माना जाता है। इस दिन राधा रानी की पूजा की जाती है, लेकिन कथा के बिना पूजा पूरी नहीं होती है।
- धर्म और अध्यात्म
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Radha Ashtami 2024 Vrat Katha: हिंदू धर्म में जिस तरह से जन्माष्टमी का त्योहार बेहद खास होता है और पूरे देश में बड़ी ही धूम धामधाम से मनाया जाता है, ठीक उसी तरह से राधा अष्टमी का पर्व भी बहुत ही महत्व पूर्ण माना जाता है। इस त्योहार को बरसाना में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। वहीं घरों से लेकर मंदिरों तक में इस दिन राधा रानी की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है और व्रत रखने का भी विधान है, लेकिन जब तक राधा अष्टमी पर राधा रानी की इस कथा का पाठ न किया जाए, तब तक यह व्रत पूरा नहीं माना जाता है। तो चलिए जानते हैं राधा अष्टमी की व्रत कथा क्या है?
धार्मिक मान्यता के मुताबिक राधा अष्टमी के दिन ही किशोरी जी का धरती पर अवतरण हुआ था। ऐसे में मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति राधा रानी की पूजा अर्चना करने के साथ व्रत रखता है, तो राधा रानी उस व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ऐसे में अगर आप पूजा करने जा रहे हैं और इसका पूरा फल चाहते हैं, तो व्रत में इस कथा का पाठ करना ना भूलें।
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पौराणिक कथा के मुताबिक एक समय की बात है कि राधा रानी स्वर्ग लोक से बाहर चली गईं। वहीं जब इस बात की जानकारी भगवान श्रीकृष्ण को मिली, तो वह विरजा सखी के साथ घूमने लगे। जब किशोरी जी स्वर्गलोक में वापस आईं, तो वह श्री कृष्ण को विरजा के साथ देखकर क्रोधित हो गईं। जिसके परिणाम स्वरूप उन्होंने विरजा को अपमानित करना शुरू कर दिया। जिसके बाद विरजा ने नदी का रूप लिया। वहीं राधा रानी का यह व्यवहार सुदामा जी को अच्छा नहीं लगा और वह राधा जी के लिए गलत बोलने लगे।
सुदामा की बातों को सुनकर किशोरी जी भी क्रोधित हो गईं और उन्होंने कान्हा जी के मित्र को दानव योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। सुदामा ने भी राधा जी को इंसान योनि में जन्म लेने का श्राप दिया। शिव पुराण की कथा के मुताबिक देवी राधा के श्राप के कारण ही सुदामा ने शंखचूड़ दानव के रूप में जन्म लिया, जिसका वध भगवान शिव के हाथो हुआ था।
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वहीं सुदामा के श्राप की वजह से राधा रानी को धरती पर मनुष्य के रूप में जन्म लेकर भगवान कृष्ण का वियोग सहना पड़ा। इसके अलावा कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग के जब श्री विष्णु ने भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिया तो उनकी पत्नी यानि माता लक्ष्मी ही देवी राधा के रूप में पृथ्वी पर आईं थीं।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 10 September 2024 at 16:07 IST