अपडेटेड 2 December 2025 at 12:35 IST

Pradosh Vrat 2025: आज है दिसंबर का पहला प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

Pradosh Vrat 2025 दिसंबर महीने में प्रदोष व्रत का सही शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि के साथ इस व्रत के महत्व और लाभों के बारे में पूरी जानकारी...

pradosh-vrat-2025-december-date-shubh-muhurat-puja-vidhi-bhaum-pradosh-lord-shiva-upay-shivling
पहला प्रदोष व्रत 2025 | Image: Freepik/AI

Pradosh Vrat 2025 Shubh Muhurat And Puja Vidhi: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। हर महीने आने वाली कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है, जिसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने और संध्याकाल में शिवजी की पूजा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। दिसंबर 2025 में प्रदोष व्रत कब-कब पड़ रहा है? क्या है सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि? तो चलिए जानते हैं विस्तार से पूरी जानकारी-

दिसंबर 2025 के प्रदोष व्रत की पूरी लिस्ट

Uploaded image

वैदिक पंचांग के अनुसार, दिसंबर महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं। पहला प्रदोष व्रत 02 दिसंबर 2025 को है और दूसरा प्रदोष व्रत 17 दिसंबर 2025 को पद रहा है।

पहले प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 02 दिसंबर, दोपहर 03:57 बजे से लेकर अगले दिन 03 दिसंबर, दोपहर 12:25 बजे तक रहने वाला है। इसलिए व्रत 02 दिसंबर को रखा जाएगा। वहीं प्रदोष काल मुहूर्त की शुरुआत शाम 05:33 बजे से 08:15 बजे तक रहेगा।

दूसरे प्रदोष व्रत की शुरुआत पौष कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की शुरुआत 16 दिसंबर, रात 11:57 बजे से लेकर 18 दिसंबर, रात 02:32 बजे तक रहेगी। इसलिए व्रत 17 दिसंबर को किया जाएगा। वहीं प्रदोष काल मुहूर्त शाम 05:38 बजे से 08:18 बजे तक रहने वाला है।

Advertisement

प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?

  • इस व्रत को करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
  • ऐसा माना जाता है कि यह व्रत जीवन की सभी अड़चनों को दूर करता है।
  • साधक को भय, संकट और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  • अधूरे पड़े कार्य भी पूरे होने लगते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

सुबह की दिनचर्या

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • भगवान शिव का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
Uploaded image

संध्याकाल की पूजा

  • क्योंकि प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद का समय होता है, इसलिए इसी समय पूजा करना शुभ माना जाता है।
  • पूजा स्थल को साफ करके चौकी पर भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • शिवजी को बेलपत्र, गंगाजल, कमल, धतूरा, अक्षत और फूल अर्पित करें।
  • देसी घी का दिया जलाकर महादेव की आरती करें।
  • प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
  • महामृत्युंजय मंत्र, “ॐ नमः शिवाय” का जप करें।
  • फल, मिठाई और भोग अर्पित करें।
  • पूजा के बाद परिवार और लोगों में प्रसाद बांटें।

सही मुहूर्त में और विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता भी लाता है।

यह जरूर पढ़ें: Margshirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ब्रह्मा मुहूर्त में करें ये उपाय, होगा धन लाभ और दूर होगी दरिद्रता

Advertisement

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 2 December 2025 at 12:35 IST