अपडेटेड 31 August 2024 at 10:03 IST
Pradosh Vrat 2024: शनि प्रदोष व्रत आज, पूजा करते समय जरूर करें प्रेतराज चालीसा का पाठ
Pradosh Vrat 2024 Pretraj Chalisa Path: आज शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा करते समय प्रेतराज चालीसा का पाठ जरूर करें।
- धर्म और अध्यात्म
- 3 min read

Shani Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बेहद खास महत्व है। हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धाभाव से प्रदोष व्रत करता है उस पर भोलेनाथ की कृपा हमेशा बनी रहती है।
वहीं आज यानी शनिवार, 31 अगस्त के दिन प्रदोष व्रत किया जा रहा है। शनिवार होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जा सकता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती हैं। वहीं, शनि प्रदोष व्रत के दौरान पूजा करते समय आपको प्रेतराज चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होगा साथ ही भगवान का आशीर्वाद भी मिलेगा। तो चलिए जानते हैं प्रेतराज चालीसा के पाठ के बारे में।
शनि प्रदोष व्रत में करें प्रेतराज चालीसा का पाठ (Pretraj Chalisa Path)
दोहा
गणपति की कर वंदना,गुरु चरनन चितलाय।
प्रेतराज जी का लिखूं,चालीसा हरषाय॥
जय जय भूताधिप प्रबल,हरण सकल दु:ख भार।
वीर शिरोमणि जयति,जय प्रेतराज सरकार॥
Advertisement
॥ चौपाई ॥
जय जय प्रेतराज जग पावन। महा प्रबल त्रय ताप नसावन॥
विकट वीर करुणा के सागर। भक्त कष्ट हर सब गुण आगर॥
रत्न जटित सिंहासन सोहे। देखत सुन नर मुनि मन मोहे॥
जगमग सिर पर मुकुट सुहावन। कानन कुण्डल अति मन भावन॥
Advertisement
धनुष कृपाण बाण अरु भाला। वीरवेश अति भृकुटि कराला॥
गजारुढ़ संग सेना भारी। बाजत ढोल मृदंग जुझारी॥
छत्र चंवर पंखा सिर डोले। भक्त बृन्द मिलि जय जय बोले॥
भक्त शिरोमणि वीर प्रचण्डा। दुष्ट दलन शोभित भुजदण्डा॥
चलत सैन काँपत भूतलहू। दर्शन करत मिटत कलि मलहू॥
घाटा मेंहदीपुर में आकर। प्रगटे प्रेतराज गुण सागर॥
लाल ध्वजा उड़ रही गगन में। नाचत भक्त मगन हो मन में॥
भक्त कामना पूरन स्वामी। बजरंगी के सेवक नामी॥
इच्छा पूरन करने वाले। दु:ख संकट सब हरने वाले॥
जो जिस इच्छा से आते हैं। वे सब मन वाँछित फल पाते हैं॥
रोगी सेवा में जो आते। शीघ्र स्वस्थ होकर घर जाते॥
भूत पिशाच जिन्न वैताला। भागे देखत रुप कराला॥
भौतिक शारीरिक सब पीड़ा। मिटा शीघ्र करते हैं क्रीड़ा॥
कठिन काज जग में हैं जेते। रटत नाम पूरन सब होते॥
तन मन धन से सेवा करते। उनके सकल कष्ट प्रभु हरते॥
हे करुणामय स्वामी मेरे। पड़ा हुआ हूँ चरणों में तेरे॥
कोई तेरे सिवा न मेरा। मुझे एक आश्रय प्रभु तेरा॥
लज्जा मेरी हाथ तिहारे। पड़ा हूँ चरण सहारे॥
या विधि अरज करे तन मन से। छूटत रोग शोक सब तन से॥
मेंहदीपुर अवतार लिया है। भक्तों का दु:ख दूर किया है॥
रोगी, पागल सन्तति हीना। भूत व्याधि सुत अरु धन छीना॥
जो जो तेरे द्वारे आते।मन वांछित फल पा घर जाते॥
महिमा भूतल पर है छाई। भक्तों ने है लीला गाई॥
महन्त गणेश पुरी तपधारी। पूजा करते तन मन वारी॥
हाथों में ले मुगदर घोटे। दूत खड़े रहते हैं मोटे॥
लाल देह सिन्दूर बदन में। काँपत थर-थर भूत भवन में॥
जो कोई प्रेतराज चालीसा। पाठ करत नित एक अरु बीसा॥
प्रातः काल स्नान करावै। तेल और सिन्दूर लगावै॥
चन्दन इत्र फुलेल चढ़ावै। पुष्पन की माला पहनावै॥
ले कपूर आरती उतारै। करै प्रार्थना जयति उचारै॥
उनके सभी कष्ट कट जाते। हर्षित हो अपने घर जाते॥
इच्छा पूरण करते जनकी। होती सफल कामना मन की॥
भक्त कष्टहर अरिकुल घातक। ध्यान धरत छूटत सब पातक॥
जय जय जय प्रेताधिप जय। जयति भुपति संकट हर जय॥
जो नर पढ़त प्रेत चालीसा। रहत न कबहूँ दुख लवलेशा॥
कह भक्त ध्यान धर मन में। प्रेतराज पावन चरणन में॥
दोहा
दुष्ट दलन जग अघ हरन,समन सकल भव शूल।
जयति भक्त रक्षक प्रबल,प्रेतराज सुख मूल॥
विमल वेश अंजिन सुवन,प्रेतराज बल धाम।
बसहु निरन्तर मम हृदय,कहत भक्त सुखराम॥
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 31 August 2024 at 10:03 IST