Published 08:11 IST, September 18th 2024
Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल अशुभ! जान लें क्या हैं जरूरी नियम
Pitru Paksha 2024 Niyam: पितृ पक्ष के दौरान कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है। आइए जानते हैं इसके कुछ जरूरी नियमों के बारे में।
Pitru Paksha 2024 Niyam: इस साल मंगलवार, 17 सितंबर से श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksh) की शुरुआत हो चुकी है, जिसका समापन बुधवार, 2 अक्टूबर तक होगा। इस दौरान पितरों की आत्मशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान (Pind Daan) के कार्य किए जाते हैं। मान्यता है कि पितरों का तर्पण और श्राद्ध ना करने पर पितर नाराज हो जाते हैं, जिससे घर-परिवार पर पितृ दोष (Pitru Dosh) लग जाता है। इसीलिए हिंदू धर्म में श्राद्ध करना जरूरी माना जाता है।
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान अगर व्यक्ति विधि-विधान से पितरों का श्राद्ध करता है तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितर प्रसन्न होकर अपने लोक चले जाते हैं। साथ ही श्राद्ध करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है और उनके जीवन में खुशियां हमेशा बनी रहती हैं, लेकिन अगर पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति को करियर और जीवन में असफलताओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है। गलती से भी इन नियमों की अनदेखी आप और आपके परिवार पर भारी पड़ सकती है। आइए जानते हैं पितृ पक्ष के नियम क्या हैं।
पितृ पक्ष के नियम (Pitru Paksha 2024 Niyam)
- पितृ पक्ष के सभी 16 दिन खास होते हैं। इस दौरान रोजाना दो रोटी गाय को जरूर खिलाएं। साथ ही रोटी पर कुछ मीठा रखें और पितरों का ध्यान करें।
- शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इसलिए ये काम जरूर करें।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर आप पितृ पक्ष में लोहे के बर्तनों में खाना बनाते या खाते हैं तो ये अशुभ माना जाता है। जिससे पितर भी नाराज हो जाते हैं। इसलिए भूलकर भी पितृ पक्ष के दौरान लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
- पितरों की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए पितृ पक्ष में दान भी जरूर करें।
- पितृ पक्ष के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य न करें।
- सात्विक भोजन का सेवन करें।
- पितृ पक्ष में दाढ़ी और बाल भूलकर न कटवाएं।
- पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के बाद गाय, कौआ, कुत्ते को भी भोजन कराएं।
- कोई शादीशुदा व्यक्ति अपने पूर्वजों को श्राद्ध करता है तो श्राद्ध के समय पत्नी का साथ होना जरूरी है। अन्यथा श्राद्ध के लिए किया गया कोई भी काम अधूरा माना जाएगा।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Updated 14:07 IST, September 18th 2024