अपडेटेड 28 December 2025 at 14:48 IST

Paush Purnima 2026 Kab Hai : नए साल में कब रखा जाएगा पौष पूर्णिमा का व्रत? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

Paush Purnima 2026 Kab Hai : हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा को बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि पौष पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

Paush Purnima 2026 Kab Hai
Paush Purnima 2026 Kab Hai | Image: Freepik

Paush Purnima 2026 Kab Hai : सनातन धर्म में पौष पूर्णिमा को मनोकामना सिद्धि का व्रत माना जाता है। इस दिन स्नान-दान करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपको आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो पौष पूर्णिमा का व्रत उत्तम फलदायी होगा। पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

अब ऐसे में इस साल पौष पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

पौष पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा?

पंचांग के हिसाब से पौष पूर्णिमा तिथि का आरंभ 2 जनवरी को शाम 6 बजकर 53 मिनट पर होगा और पूर्णिमा तिथि का समापन 3 जनवरी को दोपहर 3 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में पौष पूर्णिमा का व्रत 3 जनवरी 2026 को रखा जाएगा और इस दिन विधिवत रूप से आप पूजा-पाठ कर सकते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा भी कर सकते हैं।

पौष पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? 

पौष पूर्णिमा के दिन पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त बेहद शुभ माना गया है। आप पूजा दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक कर सकते हैं।

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पौष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त क्या है? 

पौष पूर्णिमा के दिन स्नान करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय बेहद शुभ माना गया है। स्नान के लिए उत्तम मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 20 मिनट तक होगा।

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पौष पूर्णिमा के दिन पूजा का महत्व क्या है? 

पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए अभिजीत मुहूर्त में सत्यनारायण भगवान की कथा और पूजा करना सबसे उत्तम है। वहीं पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा पूजन का विशेष महत्व है। इसलिए 3 जनवरी को शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें और पूजा विधिवत रूप से करें। इस दिन कंबल, तिल, गुड़ और अन्न का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं, पौष पूर्णिमा के दिन से ही प्रयागराज में माघ मेले और कल्पवास की शुरुआत भी हो जाती है।

Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 28 December 2025 at 14:43 IST