अपडेटेड 12 December 2025 at 23:26 IST

Paush Amavasya 2025 Date: 18 या 19 दिसंबर साल की आखिरी अमावस्या कब है? जानें स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और महत्व

Paush Amavasya 2025 Date : हिंदू धर्म में पौष अमावस्या को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। अब ऐसे में इस साल की आखिरी अमावस्या कब पड़ रही है और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त क्या है? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

Paush Amavasya 2025 Date
Paush Amavasya 2025 Date | Image: Freepik

Paush Amavasya 2025 Date: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। यह तिथि पितरों को समर्पित है। इस दिन स्नान-दान और तर्पण जैसे धार्मिक कार्य करने से पितृ दोष शांत होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि पौष महीनें में किए जाने वाले सभी काम भाग्यशाली माने जाते हैं। अब ऐसे में साल का आखिरी अमावस्या कब है और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त क्या है? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

साल की आखिरी अमावस्या कब है? 

वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। 

अमावस्या तिथि प्रारंभ- 19 दिसंबर शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 59 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त - 20 दिसंबर शनिवार को सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर

पौष अमावस्या के दिन स्नान दान का शुभ मुहूर्त क्या है? 

पौष अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है।

Advertisement

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05:19 बजे से 06:14 बजे तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त- सुबह 08:26 बजे से 09:43 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त- सुबह 09:43 बजे से 11:01 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:58 बजे से 12:39 बजे तक

ये भी पढ़ें - Winter Hair Care Tips: सर्दियों में डैमेज बालों से तुरंत राहत दिलाता है ये हेयर मास्क, एक ही बार लगाने से बाल दिखेंगे Silky और Shiny 

Advertisement

पौष अमावस्या के स्नान-दान का महत्व? 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करना बहुत फलदायी माना जाता है। इस दिन गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि नदी में स्नान करना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के दौरान सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा भी है, क्योंकि पौष मास भगवान सूर्य को समर्पित है। स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए। जल में तिल मिलाकर तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 12 December 2025 at 23:26 IST