अपडेटेड 23 March 2025 at 07:45 IST
Papmochani Ekadashi 2025: भगवान विष्णु के साथ पानी है मां लक्ष्मी की कृपा तो पापमोचनी एकादशी पर करें इन मंत्रों का जप
Papmochani Ekadashi 2025 Date: चैत्र माह में पापमोचनी एकादशी के दिन आपको इन मंत्रों का जप करना चाहिए।
- धर्म और अध्यात्म
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Papmochani Ekadashi 2025 Date: हिंदू धर्म में चैत्र माह (Chaitra Month Start 2025) में पापमोचनी एकादशी मनाई जाती है। वैसे तो साल में 24 और महीने में 2 एकादशी तिथि पड़ती है जिनके नामों के साथ-साथ उनका महत्व भी बेहद खास होता है। इस महीने में एकादशी तिथि के पड़ने का भी बेहद खास महत्व होता है। जिसके तहत इस माह में सबसे पहले पापमोचनी एकादशी मनाई जाने वाली है।
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। ऐसे में अगर आप भी भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने जा रहे हैं तो आपको सबसे पहले इसकी तारीख और पूजा के मुहूर्त के बारे में जान लेना चाहिए। साथ ही अगर आप चाहते हैं कि देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव आप पर बनी रहे तो आपको यहां दिए गए विशेष मंत्रों का जप करना चाहिए।
पापमोचनी एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Papmochani Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि मंगलवार, 25 मार्च को सुबह 05 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर बुधवार, 26 मार्च को देर रात 03 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में 25 मार्च को पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाएगा। इस दिन साधक पूरे दिन भी कभी भी भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।
पापमोचनी एकादशी 2025 व्रत पारण का समय (Papmochani Ekadashi 2025 Vrat Paran Ka Samay)
वहीं, पापमोचनी एकादशी व्रत के पारण करने का शुभ मुहूर्त 26 मार्च को दोपहर 01 बजकर 41 मिनट से 04 बजकर 08 मिनट तक रहने वाला है। इस मुहूर्त में आप कभी भी अपना व्रत खोल सकते हैं।
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मां लक्ष्मी के मंत्र (Maa Lakshmi Ke Mantra)
- ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।
- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
- ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
- या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।।
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ।।
- ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
- ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।
ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।
- सिन्दूरारुणकान्तिमब्जवसतिं सौन्दर्यवारांनिधिं,
कॊटीराङ्गदहारकुण्डलकटीसूत्रादिभिर्भूषिताम् ।
हस्ताब्जैर्वसुपत्रमब्जयुगलादर्शंवहन्तीं परां,
आवीतां परिवारिकाभिरनिशं ध्याये प्रियां शार्ङ्गिणः ॥
भूयात् भूयो द्विपद्माभयवरदकरा तप्तकार्तस्वराभा,
रत्नौघाबद्धमौलिर्विमलतरदुकूलार्तवालेपनाढ्या ।
नाना कल्पाभिरामा स्मितमधुरमुखी सर्वगीर्वाणवनद्या,
पद्माक्षी पद्मनाभोरसिकृतवसतिः पद्मगा श्री श्रिये वः ॥
वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां,
हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम् ।
भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिस्सेवितां,
पार्श्वे पङ्कजशङ्खपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः ॥
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 23 March 2025 at 07:45 IST