अपडेटेड 21 September 2024 at 08:42 IST

पत्नी से नजदीकी ने ले ली 'पांडवों के पिता' की जान, जानें कैसे मिला था उन्हें ये विचित्र श्राप

What is the curse of Pandu? राजा पाण्डु की मृत्यु कैसे हुई थी? पांडु की मृत्यु के बाद उनकी चिता में कौन कूदी थी? जानते हैं इसके बारे में...

What was the cause of death of Pandu?
पांडु को श्राप कैसे मिला था? | Image: social media

How did pandu die: महाभारत काल में न जानें ऐसे कितने पन्ने हैं, जिन्हें पलटा जाए तो कई अनसुनी कहानियां निकल आती हैं। उन्हीं कहानियों में से एक राजा पांडु से जुड़ी है। पांडु के पुत्र पांडवों से कौरवों ने युद्ध किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पांडव के पुत्र के पांच पुत्र उनके द्वारा नहीं बल्कि कुंती और माद्रा (पांडु की दूसरी पत्नी) के द्वारा भगवान का आवाहन करने पर पैदा हुए थे। ऐसे में आपको इसकी कथा के बारे में पता होना जरूरी है। साथ ही इनकी मृत्यु कैसे हुई (Pandu ki mrityu kaise hui) इसके बारे में भी पता होना जरूरी है। 

अगर नहीं, तो आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि महाराज पांडु (Mahabharata Katha) क्यों पुत्र पैदा नहीं कर पाए और पांडु की मृत्यु उनकी पत्नी के नजदीक आने पर कैसे हुई। पढ़ते हैं आगे…

राजा पाण्डु की मृत्यु कैसे हुई थी? (What was the cause of death of Pandu?)

पांडु के माता-पिता का नाम अम्बालिका और पिता का नाम वेदव्यास था। बता दें कि उनकी पत्नी का नाम कुंती और माद्रा था। वे अपनी पत्नी से बेहद प्रेम करते थे। उनके बड़े भाई धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे, इस कारण पांडु को हस्तिनापुर का राजा बनाया गया। एक बार पांडु अपनी दोनों पत्नियों के साथ आलेख कर रहे थे तब उन्होंने एक सोने का हिरण समझ कर बाण चला दिया। वह बाण सीधे एक ऋषि को जाकर लगा। उस वक्त वह ऋषि अपनी पत्नी के साथ सहवास कर रहे थे। 

पांडु को श्राप कैसे मिला था? (What is the curse of Pandu?)

जब ऋषि को पता चला कि पांडु ने उन पर तीर चलाया है तो उन्होंने पांडवों को श्राप दे दिया। कहा कि तुम्हारी मृत्यु भी ऐसे ही होगी, जिस अवस्था में मेरी हुई है। जब तुम अपनी पत्नी के निकट जाओगे सहवास के लिए तो उस वक्त तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। इस बात से पांडु बेहद दुखी हुए। चूंकि पांडु की कोई संतान नहीं थी ऐसे में उन्होंने कुंती को सारी बात बताई। तब कुंती ने पांडु को बताया कि उन्हें वरदान है कि वह जिस भी भगवान का आवाहन करेंगी और उनके साथ नियोग करेंगी तो उस भगवान से उन्हें पुत्र मिलेगा। इस प्रकार कुंती ने तीन पुत्र और माद्रा ने दो पुत्र को जन्म दिया। 

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एक बार बारिश हो रही थी पांडु और माद्रा जंगल में विहार कर रहे थे। ऐसे में पांडु खुद पर नियंत्रण नहीं कर पाए और माद्रा के साथ सहवास के लिए उतारू हो गए। इस दौरान उनकी मृत्यु हो गई। ऐसे में माता कुंती पर पांच पुत्रों का भार आ गया। वह अपने पुत्रों को लेकर हस्तिनापुर चली गईं।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 21 September 2024 at 08:42 IST