Advertisement

अपडेटेड May 3rd 2025, 13:35 IST

Pradosh Vrat 2025: भगवान शिव को करना है प्रसन्न तो पूजा में जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ

Shiv Stotra: अगर आप प्रदोष व्रत के दिन इस स्तोत्र का पाठ करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

Reported by: Kajal .
Follow: Google News Icon
Advertisement
Lord Shiv
प्रदोष व्रत | Image: Shutterstock

Pradosh Vrat 2025: हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत किया जाता है। जिसमें एक व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि और दूसरा व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। ऐसे में इस बार वैशाख माह का दूसरा और मई महीने का पहला प्रदोष व्रत (shukra Pradosh Vrat 2025) शुक्रवार, 9 मई के दिन रखा जाएगा। इस दिन विशेष रूप से महाकाल भगवान शिव की पूजा किए जाने का विधान है।

कहते हैं प्रदोष व्रत करने से बाबा भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होकर व्यक्ति पर अपनी कृपा बनाए रखे हैं। वहीं, अगर आप किसी तरह की दुख-परेशानी से गुजर रहे हैं तो आपको प्रदोष व्रत की पूजा करते समय श्री शिव रूद्राष्टकम का पाठ जरूर करना चाहिए। इस पाठ को करने से आपको आर्थिक लाभ के साथ-साथ सुख-समृद्धि भी मिलेगी। तो चलिए जानते हैं इस स्तोत्र के लिरिक्स के बारे में।

श्री शिव रूद्राष्टकम् (Shri Shiv Rudrashtakam)

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥

निराकारमोंकार मूलं तुरीयं
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालुं
गुणागार संसार पारं नतोऽहम्॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥

कलातीतं कल्याण कल्पान्तकारीं
सदा सच्चिदानन्द दाता पुरारिम्।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारीं
प्रसीद, प्रसीद प्रभो मन्मथारि॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम्॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम्।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं
प्रभोपाहि आपन्नमामीश शम्भो॥

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शंभुः प्रसीदति॥
इति श्रीगोस्वामी-तुलसीदास-कृतं श्रीरुद्राष्टकम् सम्पूर्णम् ॥

ये भी पढ़ें: Ganga Saptami 2025: 3 या 4 मई, कब है गंगा सप्‍तमी? नोट करें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

पब्लिश्ड May 3rd 2025, 13:35 IST