अपडेटेड 6 February 2024 at 18:28 IST
Mauni Amavasya 2024: फरवरी में कब है मौनी अमावस्या? नोट कर लें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Mauni Amavasya के पावन पर्व पर स्नान और दान का बेहद खास महत्व माना जाता है। आइए जानते हैं यह इस साल कब मनाई जाएगी।
- धर्म और अध्यात्म
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Kab Hai Mauni Amavasya 2024: हिंदू धर्म में अमावस्या का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पवित्र स्नान से लेकर दान तक सब कुछ बहुत ही लाभकारी माना जाता है। वहीं अगर बात साल में एक बार आने वाली मौनी अमावस्या की हो तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन स्नान दान के साथ-साथ मौन व्रत भी रखा जाता है। तो चलिए जानते हैं कि इस साल मौनी अमावस्या कब है और इस दिन पूजा की विधि क्या है।
हिंदू धर्म में माघ का महीना बहुत ही महत्वूर्ण माना जाता है, वहीं इस माह में पड़ने वाली मौनी अमावस्या इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ा देती है। इस दिन गंगा में आस्था की डूबकी लगाने से व्यक्ति के जन्मों जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। इस व्रत में मुनियों सा आचरण किया जाता है, इसलिए इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं इस साल यह कब मनाया जाएगा और इस दिन पूजा की विधि क्या है।
कब है मौनी अमावस्या?
हिंदी पंचांग के मुताबिक इस साल मौनी अमावस्या की तिथि की शुरुआत 9 फरवरी की सुबह 8 बजकर 2 मिनट से होगी जो अगले दिन यानी 10 फरवरी 2024 की सुबह 4 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। Mauni Amavasya की तिथि 9 फरवरी को सूर्योदय के बाद शुरू हो रही है, लेकिन इस दिन यह पूरे दिन रहेगी, वहीं 10 फरवरी को सूर्योदय से पहले खत्म हो जा रही है। ऐसे में मौनी अमावस्या का स्नान, पूजा-पाठ 9 फरवरी 2024 को करना उत्तम होगा।
Mauni Amavasya शुभ मुहूर्त?
- मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान का समय - सुबह 8 बजकर 2 मिनट से शुरु होगा जो सुबह 11 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
- मौनी अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म का समय - सुबह 11 बजे से शुरू होगा जो दोपहर 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।
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Mauni Amavasya के दिन क्या है पूजा का विधान
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु को मन ही मन में प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि इस दिन बोलने की मनाही होती है।
- फिर मौन व्रत धारण करते हुए ही दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगा नदी में स्नान करें। अगर ऐसा संभव न हो तो गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें।
- फिर भगवान सू्र्य को अर्घ्य दें। इसके बाद दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों को जल का अर्घ्य दें।
- इसके बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। इस समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें।
- पूजा के आखिरी में आरती-अर्चना कर सुख-समृद्धि और आय में वृद्धि की कामना करें।
- पूजा-पाठ, दान-पुण्य करने के पश्चात मौन व्रत खोलें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 31 January 2024 at 20:20 IST