अपडेटेड 18 November 2025 at 22:12 IST
Margashirsha Amavasya 2025: 19 या 20 नवंबर... कब है मार्गशीर्ष अमावस्या? जानें सही तिथि, दान का समय और तर्पण की पूरी विधि
Margashirsha Amavasya 2025 Kab Hai: मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 के दिन तर्पण, दान और पूजा करने से पितरों की कृपा और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इन तरीकों से किए गए ये धर्मकार्य जीवन में सुख-शांति लाते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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मार्गशीर्ष मास की अमावस्या हिंदू पंचांग में बेहद पवित्र मानी जाती है। इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य और भगवान लक्ष्मी-नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस अमावस्या पर किया गया दान कई गुना फल देता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। अगर आप 2025 की मार्गशीर्ष अमावस्या की सही तिथि और शुभ समय जानना चाहते हैं, तो आखिर तक जरूर पढ़ें, जहां हम आपको दान, स्नान, तर्पण से जुड़ी पूरी जानकारी बताएंगे।
मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि 19 नवंबर को सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 20 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर तिथि का समापन हो रहा है। ऐसे में मार्गशीर्ष अमावस्या का पर्व 20 नवंबर को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या का मुख्य फल उस तिथि में माना जाता है जिसमें सूर्योदय होता है। इसलिए मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 की मनाने की तिथि 20 नवंबर 2025 यानी गुरुवार होगी।
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन क्या करें?
मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों की शांति और घर में सुख-शांति के लिए ये खास कार्य किए जाते हैं जैसे-
- पितरों के लिए तर्पण करें।
- गाय, ब्राह्मण, और गरीबों को दान करें।
- तिल, गुड़, कंबल, वस्त्र आदि का दान करना शुभ होता है।
- सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पण करें।
- साथ ही, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर तर्पण की सही विधि
- तर्पण पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है।
- इसके लिए सबसे पहले सुबह स्नान करें। स्नान में थोड़े तिल और गंगा जल मिलाएं। शुद्ध कपड़े पहनें।
- तांबे या स्टील के लोटे में जल लें। जल में तिल, सफेद फूल और थोड़ा दूध मिलाएं।
- पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर मुंह करें। ऐसा इसलिए क्योंकि दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है।
- इसके बाद तर्पण मंत्र बोलें। मंत्र न बोल पाएं तो बस अपने मन में पितरों का स्मरण करें।
- अब जल अर्पित करें। इसके लिए दोनों हाथों से जल प्रवाहित करते हुए पितरों के नाम का उच्चारण करें। बता दें कि कुल 3, 7 या 11 बार जल अर्पण किया जाता है।
- अंत में पितरों की शांति, परिवार के कल्याण और स्वास्थ्य की कामना करते हुए प्रार्थना करें।
मार्गशीर्ष अमावस्या का धार्मिक महत्व क्या है?
- इस दिन किए गए दान और पूजा से दुर्भाग्य दूर होता है।
- पितरों की कृपा से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
- यह अमावस्या नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का समय माना जाता है।
- विशेष रूप से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन क्या दान करें?
- तिल, गुड़
- कंबल, गर्म कपड़े
- भोजन, फल
- दीपदान
- गाय को हरा चारा
इनमें से कुछ भी अपने अनुसार दान किया जा सकता है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Samridhi Breja
पब्लिश्ड 18 November 2025 at 22:12 IST