अपडेटेड 12 November 2024 at 16:37 IST

हनुमान जी के शरीर के 3 बालों ने बचाया पांडु पुत्र भीम को, फिर भी ऋषि खा गए एक पैर, पढ़ें रोचक कथा

Mahabharat katha in hindi: क्या आप जानते हैं कि महाभारत काल में भीम की जान हनुमान जी के 3 बालों ने बचाई पर फिर भी ऋषि खा गए पैर...

हनुमान जी ने भीम को क्यों दिए 3 बाल?
हनुमान जी ने भीम को क्यों दिए 3 बाल? | Image: social media

Mahabharat katha in hindi: वैसे तो महाभारत काल में कई ऐसी कथाएं हैं जो लोगों को चौका देती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भीम की जान बचाने के लिए हनुमान जी ने उन्हें अपने शरीर के तीन बाल दिए थे और उन तीन बालों के इस्तेमाल से भीम ने अपने पूरे शरीर को बचा लिया था परंतु अपने पैर ऋषि को खाने के लिए दे दिए थे। ऐसे में इस कहानी को जानना तो बेहद जरूरी है।

आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि हनुमान जी (Hanuman ji) ने भीम को अपने शरीर के तीन बाल क्यों दिए थे और इन तीन बालों से कैसे भीम (Bhima story in hindi) ने अपनी जान बचाई थी। पढ़ते हैं आगे...

हनुमान जी ने भीम को क्यों दिए 3 बाल?

बता दें कि महाभारत युद्ध के बाद जब पांडवों की जीत हुई तब एक बार उनसे मिलने नारद मुनि आए। नारद जी ने कहा कि आप यहां पर प्रसन्न हैं परंतु स्वर्ग लोक में आपके पिता बेहद दुखी हैं। तब युधिष्ठिर ने इसका कारण पूछा तो नारद जी बोले कि जब वह जिंदा थे तो उन्होंने बोला था कि वह राजसूय यज्ञ करवाएंगे परंतु वे नहीं करवा पाए। इसी कारण बेहद दुखी हैं। तब पांडव बोले कि यज्ञ हमें करवाना चाहिए ताकि हमारे पिता की आत्मा को शांति मिले।

तब युधिष्ठिर ने यज्ञ करवाने की घोषणा की। पर इस यज्ञ के लिए शिवजी के परम भक्त ऋषि पुरुष मृदा को आमंत्रित करने का फैसला लिया। ऋषि पुरुष मृदा आधे पुरुष तथा नीचे से मृद थे और वह कहां रहते थे इसके बारे में भी लोग नहीं जानते थे। ऐसे में युधिष्ठिर ने भीम को पता लगाने के लिए भेजा। जब भीम उन्हें खोजने के लिए निकले तो उनकी मुलाकात हनुमान जी से हुई।

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हनुमान जी ने जब कारण पूछा तो भीम ने सारी बात बताइ। तब हनुमान जी ने भीम को अपने शरीर के तीन बाल दिए और कहा कि संकट के समय यह तुम्हारे काम आएंगे। भीम ने उन बालों को सुरक्षित रख लिया। आग चलते-चलते उन्हें परम भक्त पुरुष मृदा मिल गए जब उन्होंने उन्हें सारी बात बताई तो वे चलने के लिए मान गए। परंतु....

उन्होंने यह शर्त रखी कि अगर तुम मुझसे पहले नहीं पहुंचे हस्तिनापुर तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा। भीम ने इस शर्त को स्वीकारा और दोनों भागने लगे। जब भीम ने पीछे मुड़ के देखा तो उसे लगा कि ऋषि उसे पकड़ने ही वाले हैं। ऐसे में उसे याद आया कि उसके पास हनुमान जी के तीन बाल हैं। उसने एक बाल नीचे जमीन पर डाल दिया। जैसे ही उसने जमीन पर डाला वैसे ही लाखों शिवलिंग बन गए और शिव भक्त ऋषि सभी शिवलिंग को प्रणाम करने लगे।

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इसके बाद जब भीम ने दोबारा पीछे देखा तो उसे लगा फिर से ऋषि पकड़ लेंगे। उसने फिर दूसरा बाल भी जमीन पर डाला और वह भी लाखों शिवलिंग में परिवर्तित हो गया। इसी प्रकार भीम ने तीनों बालों को जमीन पर डाल दिया। जब भीम हस्तिनापुर में प्रवेश करने वाला था तभी ऋषि पुरुष मृदा ने उसे पकड़ लिया। लेकिन भीम ने छलांग लगा दी बस पैर ही द्वार से बाहर रह गए और पूरा शरीर अंदर चला गया। ऐसे में उन्होंने भीम को खाना चाहा।

तभी वहां पर भगवान श्री कृष्ण और युधिष्ठिर आ गए। अब ऋषि बोले की धर्मराज तुम न्याय करो। तब युधिष्ठिर बोले कि भीम का पूरा शरीर हस्तिनापुर में और पैर बाहर हैं ऐसे में आप केवल पैर ही खा सकते हैं। ऐसा सुनकर ऋषि पुरुष मृदा प्रसन्न हुए और उन्होंने भीम को जीवन दान दे दिया और यज्ञ भी संपन्न करवाया।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 12 November 2024 at 16:37 IST