अपडेटेड 7 March 2025 at 09:00 IST

Lakshmi Puja: शुक्रवार पूजा में जरूर करें ये काम, बनी रहेगी मां लक्ष्मी की कृपा

Maa Lakshmi Puja: धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आप शुक्रवार के दिन उनकी चालीसा का पाठ करना चाहिए।

Follow : Google News Icon  
Shukrawar Ke Upay
मां लक्ष्मी | Image: shutterstock

Maa Lakshmi Chalisa: हिंदू धर्म में शुक्रवार के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि शुक्रवार के दिन जो व्यक्ति पूरे विधि विधान के साथ मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत करता है उस पर माता की कृपा हमेशा बनी रहती है और धन की कमी कभी नहीं होती है।

हालांकि मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए आप उनकी पूजा करने के साथ-साथ पूजा के दौरान उनकी चासीसा का पाठ भी कर सकते हैं। इससे देवी मां खुश होकर आपकी झोली खुशियों से भर देंगी। तो चलिए जानते हैं मां लक्ष्मी की चालीसा के बारे में।

मां लक्ष्मी की चालीसा (Maa Lakshmi Ki Chalisa)

दोहा

मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥

Advertisement

यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥

चौपाई

Advertisement

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी।
सब विधि पुरवहु आस हमारी॥

जय जय जगत जननि जगदम्बा।
सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥

तुम ही हो सब घट घट वासी।
विनती यही हमारी खासी॥

जगजननी जय सिन्धु कुमारी।
दीनन की तुम हो हितकारी॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी।
कृपा करौ जग जननि भवानी॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी।
सुधि लीजै अपराध बिसारी॥

कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी।
जगजननी विनती सुन मोरी॥

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता।
संकट हरो हमारी माता॥

क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो।
चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥

चौदह रत्न में तुम सुखरासी।
सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा।
रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥

तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं।
सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥

अपनाया तोहि अन्तर्यामी।
विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥

तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी।
कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई।
मन इच्छित वांछित फल पाई॥

तजि छल कपट और चतुराई।
पूजहिं विविध भांति मनलाई॥

और हाल मैं कहौं बुझाई।
जो यह पाठ करै मन लाई॥

ताको कोई कष्ट नोई।
मन इच्छित पावै फल सोई॥

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि।
त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥

जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै।
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥

ताकौ कोई न रोग सतावै।
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥

पुत्रहीन अरु संपति हीना।
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै।
शंका दिल में कभी न लावै॥

पाठ करावै दिन चालीसा।
ता पर कृपा करैं गौरीसा॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै।
कमी नहीं काहू की आवै॥

बारह मास करै जो पूजा।
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माही।
उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई।
लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥

करि विश्वास करै व्रत नेमा।
होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥

जय जय जय लक्ष्मी भवानी।
सब में व्यापित हो गुण खानी॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं।
तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै।
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥

भूल चूक करि क्षमा हमारी।
दर्शन दजै दशा निहारी॥

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी।
तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में।
सब जानत हो अपने मन में॥

रुप चतुर्भुज करके धारण।
कष्ट मोर अब करहु निवारण॥

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई।
ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥

दोहा

त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥

रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥

ये भी पढ़ें: सुशासन के लिए राजकोषीय अनुशासन की आवश्यकता होती है: धनखड़

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 7 March 2025 at 09:00 IST