अपडेटेड 10 November 2024 at 23:31 IST
14 Kosi Parikrama: देव दीपावली से पहले क्यों की जाती है 14 कोसी परिक्रमा? क्या है इसका महत्व
14 Kosi Parikrama: देव दीपावली से पहले 14 कोसी परिक्रमा क्यों की जाती है? और इसका महत्व और विधि क्या है? अगर आप भी यह करने जा रहे हैं, तो इसके बारे में जान लें।
- धर्म और अध्यात्म
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Kya Hoti Hai 14 Kosi Parikrama: 14 कोसी परिक्रमा एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है, जो विशेष रूप से भगवान राम की नगरी अयोध्या में किया जाता है। यह परिक्रमा भगवान राम की पूजा और शहर की पवित्रता को बढ़ावा देने के लिए की जाती है। जो कि अक्षय नवमी के दिन से शुरू होती है। हर साल यह परिक्रमा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि जिसे अक्षय नवमी के नाम से जानते हैं इस दिन से शुरू होती है। इस बार यह परिक्रमा शनिवार 9 नवंबर, 2024 से शुरू हो चुकी है।
धार्मिक दृष्टि से देव दिपावली से पहले अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा करने का महत्व बहुत अधिक माना जाता है, जिसके पीछे प्रमुख परंपराएं और कुछ कारण है। अगर आप भी 14 कोसी परिक्रमा करने जा रहे हैं, तो इसके महत्व और विधि के बारे में जान लें, जो कुछ इस प्रकार हैं...
14 कोसी परिक्रमा का अर्थ क्या है?
'कोस' एक पुरानी इकाई है, जो लगभग 3 किलोमीटर के बराबर है। 14 कोसी परिक्रमा का अर्थ है राम की नगरी अयोध्या शहर की 42 किलोमीटर की परिक्रमा करना।
क्यों की जाती है 14 कोसी परिक्रमा?
आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए
अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि माना जाता है और इसकी परिक्रमा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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देव दिपावली की तैयारी
देव दिपावली से पहले 14 कोसी परिक्रमा करने से व्यक्ति अपने आप को इस त्योहार के लिए तैयार करता है और अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है।
पापों की मुक्ति
यह परिक्रमा करने से व्यक्ति के पापों की मुक्ति होती है और वह एक नए जीवन की शुरुआत कर सकता है।
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आत्मशुद्धि
इस परिक्रमा से व्यक्ति को आत्मशुद्धि और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
स्वास्थ्य लाभ
यह परिक्रमा करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी होता है।
14 कोसी परिक्रमा की विधि क्या है?
- परिक्रमा की शुरुआत अयोध्या के सरयू नदी के किनारे से होती है।
- परिक्रमा की दूरी लगभग 14 कोस (42 किमी) है।
- परिक्रमा में विभिन्न मंदिरों और तीर्थ स्थलों का दर्शन किया जाता है, जिनमें राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमानगढ़ी मंदिर और सरयू नदी शामिल हैं।
- परिक्रमा के दौरान व्यक्ति को व्रत और उपवास करना चाहिए।
- परिक्रमा के बाद व्यक्ति को सरयू नदी में स्नान करना चाहिए और देव दिपावली की पूजा करनी चाहिए।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 10 November 2024 at 23:31 IST