अपडेटेड 13 December 2025 at 14:53 IST

Kharmas 2025: खरमास के दौरान क्यों रोक दिए जाते हैं शुभ कार्य? जानिए सूर्यदेव के सात घोड़ों की पूरी कहानी और धार्मिक मान्यताएं

Kharmas 2025: Story of Surya Dev's Seven Horses: खरमास के दौरान शुभ कार्यों पर रोक क्यों लगाई जाती है? सूर्यदेव के सात घोड़ों की पौराणिक कहानी और इस दौरान माने जाने वाले धार्मिक नियम जानें विस्तार से।

Kharmas 2025 and Surya Dev’s seven horses story
खरमास 2025 | Image: Republic

Significance Of Kharmas In Hindi: हिंदू धर्म में हर समय को शुभ और अशुभ के आधार पर बांटा गया है। इन्हीं में से एक खास समय होता है खरमास, जिसे शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कथा क्या कहती हैं? तो चलिए जानते हैं क्या है पूरी जानकारी-

खरमास 2025 कब से कब तक रहेगा?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास का समय शुरू हो जाता है। इसलिए साल में दो बार खरमास आता है। खरमास 2025 की शुरुआत 16 दिसंबर 2025, मंगलवार यानी इस दिन सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे से लेकर  14 जनवरी 2026, मंगलवार तक रहेगा। बता दें कि इस दिन मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। जैसे ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, खरमास समाप्त हो जाता है और फिर शुभ कार्य दोबारा शुरू हो जाते हैं।

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खरमास में शुभ कार्य क्यों नहीं किए जाते हैं?

खरमास के दौरान शुभ काम न करने के पीछे एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।

कथा के अनुसार, सूर्यदेव सात घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले रथ पर सवार होकर पूरे ब्रह्मांड की यात्रा करते हैं। लगातार यात्रा करने की वजह से उनके घोड़े थक जाते हैं और उन्हें प्यास लगती है। अपने घोड़ों की हालत देखकर सूर्यदेव दुखी हो जाते हैं।

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एक दिन सूर्यदेव अपने घोड़ों को विश्राम देने के लिए एक तालाब के पास छोड़ देते हैं। लेकिन रथ को रोकना संभव नहीं होता। उसी समय उन्हें वहां दो गधे यानी खर दिखाई देते हैं। सूर्यदेव घोड़ों की जगह गधों को रथ में जोड़ देते हैं।

गधों की गति धीमी होती है, इसलिए सूर्यदेव का रथ भी धीरे चलने लगता है। माना जाता है कि एक महीने तक सूर्यदेव के घोड़े विश्राम करते हैं और उनका रथ गधे खींचते हैं। इसी कारण इस समय को खरमास कहा जाता है।

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खरमास से सूर्यदेव के तेज का क्या संबंध है?

धार्मिक मान्यता है कि सूर्यदेव का तेज उनके सात घोड़ों की वजह से होता है। जब घोड़े विश्राम पर होते हैं और रथ गधों द्वारा खींचा जाता है, तब सूर्यदेव का तेज कम हो जाता है।

हिंदू धर्म में सूर्यदेव को ऊर्जा, शक्ति और शुभता का प्रतीक माना गया है। जब सूर्य का तेज कमजोर होता है, तो उस समय शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है।

खरमास के बाद क्या होता है?

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करीब एक महीने के बाद सूर्यदेव के घोड़े विश्राम करके फिर से शक्तिशाली हो जाते हैं। इसके बाद सूर्यदेव दोबारा घोड़ों को अपने रथ में जोड़ लेते हैं और तेज गति से यात्रा शुरू करते हैं।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इसी के साथ खरमास समाप्त हो जाता है। इसके बाद विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य फिर से आरंभ हो जाते हैं।

खरमास केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक आस्था और पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। इस दौरान पूजा-पाठ, दान और साधना करना शुभ माना जाता है, जबकि मांगलिक कार्यों को कुछ समय के लिए टाल दिया जाता है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 13 December 2025 at 14:53 IST