अपडेटेड 23 July 2024 at 17:29 IST
Kanwar Yatra Niyam: पहली बार करने जा रहे हैं कांवड़ यात्रा? तो जान लें इसके कड़े नियम और महत्व
सावन के महीने में बहुत सारे लोग कांवड़ यात्रा निकालते हैं। अगर आप पहली बार कांवड़ यात्रा करने जा रहे हैं, इसके महत्व और नियम के बारे में जान लें।
- धर्म और अध्यात्म
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Kanwar Yatra Ke Niyam: हर साल की तरह इस साल भी सावन महीने की धूम देखने को मिल रही है। 22 जुलाई 2024 दिन सोमवार से इस माह की शुरुआत हो चुकी है, जिसके बाद से ही शिव भक्तों में इसका उत्साह देखने को मिल रहा है। सावन में सोमवार (Sawan Somwar) व्रत से लेकर कांवड़ यात्रा तक की धूम देखने को मिलती है। हर साल हजारों की संख्या में लोग कांवड़ यात्रा निकालते हैं, लेकिन अगर आप पहली बार कांवड़ (Kanwar Yatra) लेकर जा रहे हैं, तो इसके महत्व और नियम के बारे में जरूर जान लें।
शिव भक्तों के लिए कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2024) किसी तीर्थ से कम नहीं होता है। इस यात्रा में शामिल होने वालों को कांवड़िया के नाम से जाना जाता है और वह पूरी यात्रा पैदल चलकर पूरी करते हैं। कांवड़िए कांवड़ में गंगाजल (Ganga Jal) भरकर शिवालयों में पहुंचते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। ऐसे में अगर आप भी कांवड़ यात्रा पर जा रहे हैं, इसके महत्व और नियम (Kanwar Yatra Ke Niyam) के बारे में जरूर जान लें।
कांवड़ यात्रा का क्या है महत्व? (Kanwar Yatra 2024)
कांवड़ यात्रा शुरू करने से पहले जान लें की यह क्योंकि की जाती है और इसका महत्व क्या है। ऐसी मान्यता है कि शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए कांवड़ यात्रा बहुत ही फलदायी होती है। जब सावन माह में कांवड़ यात्रा कर कांवड़िए शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं, तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। शास्त्रों के मुताबिक कांवड़ यात्रा करने वाले व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी कांवड़ यात्रा पर जा रहे हैं, तो इसके नियम (Kanwar Yatra Ke Niyam) जरूर जान लें।
कांवड़ यात्रा के क्या हैं नियम? (Kanwar Yatra Ke Niyam)
न करें इन चीजों का सेवन
कांवड़ियों को कांवड़ यात्रा करते समय किसी भी तरह की नशीली चीजों और मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर आप पाप के भागी होते हैं।
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कैसे लें कांवड़
कांवड़ यात्रा करने वाले व्यक्ति को नहाने के बाद ही कांवड़ को छूना चाहिए और यात्रा के दौरान कांवड़ियों के जत्थे के साथ ही रहना चाहिए।
कहां से भरे जल
भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए कांवड़ में गंगाजल या किसी पवित्र नदी से ही जल भरें। इसमें तालाब, कुएं या किसी नल का जल नहीं भरना चाहिए।
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जमीन पर न रखें कांवड़
कांवड़ यात्रा के दौरान जब आप कहीं आराम करने के लिए रुके तो इस बात का खास ध्यान रखें कि कांवड़ को भूलकर भी जमीन पर न रखें। इसे किसी स्टैंड पर रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि जमीन पर कांवड़ रखने से कांवड़ अशुद्ध हो जाता है और फिर से जलभर यात्रा शुरू करनी पड़ती है।
कैसे करें कांवड़ यात्रा
अगर आप पहली बार कांवड़ यात्रा पर जा रहे हैं, तो जान लें कि यह यात्रा पैदल और नंगे पैर की जाती है। साथ ही यात्रा के दौरान बम-बम भोले या शिव जी का जयकारा लगाते हुए यात्रा करनी चाहिए।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 23 July 2024 at 17:29 IST