अपडेटेड 7 April 2025 at 12:50 IST

Kamada Ekadashi 2025: कामदा एकादशी पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, बनी रहेगी भगवान विष्णु की कृपा

Kamada Ekadashi 2025: कामदा एकादशी के दिन आपको विष्णु जी के इस स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

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ekadashi vishnu ji
विष्णु स्तोत्र | Image: Shutterstock

Kamada Ekadashi Vishnu Stotra: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बेहद खास महत्व होता है। साल में 24 और महीने में दो एकादशी तिथि पड़ती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि कल यानी मंगलवार, 8 अप्रैल को पड़ रही है। जिसे कामदा एकादशी कहा जाता है।

किसी भी एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। वहीं अगर आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को जल्द प्रसन्न करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कामदा एकादशी के मौके पर विष्णु जी के शतनाम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। आइए जानते हैं इसके लिरिक्स के बारे में।

श्री विष्णु शतनाम स्तोत्र (Shri Vishnu Shatnam Stotra)

ॐ वासुदेवं हृषीकेशं वामनं जलशायिनम्।
जनार्दनं हरि कृष्णं श्रीवक्षं गरुडध्वजम्।।
वाराहं पुण्डरीकाक्षं नृसिंहं नरकान्तकम्।
अव्यक्तं शाश्वतं विष्णुमनन्तमजमव्ययम्।।

नारायणं गदाध्यक्षं गोविन्दं कीर्तिभाजनम्।
गोवर्धनोद्धरं देवं भूधरं भुवनेश्वरम्।।
वेत्तारं यज्ञपुरुषं यज्ञेशं यज्ञवाहकम्।
चक्रपाणिं गदापाणिं शङ्खपाणिं नरोत्तमम्।।

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वैकुण्ठं दुष्टदमनं भूगर्भं पीतवाससम्।
त्रिविक्रमं त्रिकालज्ञं त्रिमूर्तिं नन्दिकेश्वरम्।।
रामं रामं हयग्रीवं भीमं रौद्रं भवोद्भवम्।
श्रीपतिं श्रीधरं श्रीशं मङ्गलं मङ्गलायुधम्।।

दामोदरं दमोपेतं केशवं केशिसूदनम्।
वरेण्यं वरदं विष्णुमानन्दं वसुदेवजम्।।
हिरण्यरेतसं दीप्तं पुराणं पुरुषोत्तमम्।
सकलं निष्कलं शुद्धं निर्गुणं गुणशाश्वतम्।।

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हिरण्यतनुसङ्काशं सूर्यायुतसमप्रभम्।
मेघश्यामं चतुर्बाहुं कुशलं कमलेक्षणम्।।
ज्योतीरूपमरूपं च स्वरूपं रूपसंस्थितम्।
सर्वज्ञं सर्वरूपस्थं सर्वेशं सर्वतोमुखम्।।

ज्ञानं कूटस्थमचलं ज्ञानदं परमं प्रभुम्।
योगीशं योगनिष्णातं योगिनं योगरूपिणम्।।
ईश्वरं सर्वभूतानां वन्दे भूतमयं प्रभुम्।
इति नामशतं दिव्यं वैष्णवं खलु पापहम्।।

यासेन कथितं पूर्वं सर्वपापप्रणाशनम्।
यः पठेत्प्रातरुत्थाय स भवेद्वैष्णवो नरः।।
सर्वपापविशुद्धात्मा विष्णुसायुज्यमाप्नुयात्।
चान्द्रायणसहस्राणि कन्यादानशतानि च।।

गवां लक्षसहस्राणि मुक्तिभागी भवेन्नरः।
अश्वमेधायुतं पुण्यं फलं प्राप्नोति मानवः।।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 7 April 2025 at 12:50 IST