अपडेटेड 14 June 2025 at 16:11 IST
Premanand Maharaj: क्या नौकरी, पैसा, पढ़ाई, विवाह हमारे भाग्य में लिखा होता हैं? प्रेमानंद महाराज से जानिए
Premanand Maharaj: क्या नौकरी, पैसा, पढ़ाई, विवाह हमारे भाग्य में लिखा होता हैं? जानिए प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा?
- धर्म और अध्यात्म
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Premanand Maharaj: सांसारिक उपाधियां जैसे पढ़ाई, नौकरी, पैसा, विवाह आदि हमारे प्रारब्ध से मिलती हैं, उन्हें पाने का हम प्रयास करते हैं, तो यह सब हमारा प्रारब्ध ही करवाता है या वह हमारे नवीन कर्म में आता है? आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज ने इस सवाल के जवाब में क्या कहा?
प्रेमानंद महाराज ने कहा परिणाम, प्रारब्ध होता है, जैसे हम बहुत अच्छी पढ़ाई पढ़ें और एक कम पढ़ाई पढ़ा और काम पढ़ाई पढ़ने वाला लड़का पास हो गया और हम फेल हो गए, बहुत प्रयास किया लेकिन हम फेल हो गए, अब इसमें प्रारब्ध लागू हो गया। एक आदमी कम प्रयास करता है और बहुत धनी हो जाता है और एक आदमी बहुत प्रयास करता है लेकिन धनी नहीं हो पता, उसमें प्रारब्ध काम करता है।
प्रारब्ध भोगने के बाद ही खत्म होता है- प्रेमानंद महाराज
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि प्रारब्ध परिणाम पर आता है, जैसे व्यापार किया और चला ही नहीं दूसरी तरफ एक आदमी जिधर हाथ रख देता है, उधर विजय ही विजय होती चली जाती है क्योंकि उसका पूर्व प्रारब्ध जोरदार है। उतना दिमाग नहीं है, उतना प्रयास नहीं है लेकिन लाभ ही लाभ हो रहा है। दूसरी तरफ एक बहुत दिमाग है, बहुत प्रयास कर रहा है लेकिन लाभ कुछ नहीं मिल रहा है, उसका प्रारब्ध दुश्मन है। प्रारब्ध भोगने के बाद ही खत्म होता है। प्रारूप भोगना ही पड़ता है। प्रारब्ध अलग-अलग समय पर अपना असर दिखता ही रहता है जब तक कि हमारा शरीर खत्म नहीं हो जाता।
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भजन से अपने संचित कर्मों को भस्म करना होगा- प्रेमानंद महाराज
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि हमें अपने उन्हें संचित कर्मों को भस्म करना होगा, जो जन्म-जन्मांतरण से जमा हैं, उन्हें भस्म करने के लिए नवीन कम करना पड़ेगा और वह भजन भजन रूपी कर्म के द्वारा ही हम संचित कर्म को भस्म कर सकते हैं, दूसरा कोई ऐसा उपाय नहीं है। दान, पुण्य, तीर्थाटन यह सब शुभ कर्म के अंदर आता है, लेकिन राधा-राधा, कृष्ण-कृष्ण, शिव-शिव, हरी-हरी, राम-राम जो नाम जपेंगे उसे हमारा संचित कर्म भस्म हो जाएंगे। हां, अगर भगवत भावना से परहित किया जाए तो हमारे पूर्व कर्म या संचित कर्म नष्ट हो जाएंगे। भगवत भावना से युक्त कर्म करने पर आप कर्म से बंधते नहीं हो। अगर आप पढ़ाई कर रहे हैं और उसे भगवान की पूजा मानकर कर रहे हैं और उसे भगवान को समर्पित करते हैं तो वह 4 घंटे आपकी पढ़ाई आपका भजन बन जाएगा और अगर आप पूजा कर रहे हैं और पैसे के लिए कर रहे हैं तो यद्यपि पूजा है लेकिन वह पूजा नहीं मानी जाएगी क्योंकि आपका लक्ष्य अर्थ है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 14 June 2025 at 15:58 IST