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Published 16:45 IST, August 24th 2024

Janmashtami 2024: जन्माष्टमी पर खीरे से कैसे कराएं लड्डू गोपाल का जन्म? जानें नाल छेदन का सही तरीका

Janmashtami 2024: जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लड्डू का जन्म खीरे से कैसे कराया जाता है?

How To Krishna Born From Cucumber
खीरे से कैसे कराएं कृष्णा का जन्म? | Image: Freepik

How To Krishna Born From Cucumber: हर साल बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाने वाले जन्माष्टमी के पर्व की तैयारियां पूरे देशभर में कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। मंदिरों से लेकर घरों तक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की तैयारियां जमकर होने लगती हैं। जहां मंदिरों में इस दिन सुंदर-सुंदर झाकियां निकाली जाती है, वहीं घरों में सभी लोग लड्डू गोपाल के जन्म की तैयारियां करते हैं। इस दिन बाल गोपाल का जन्म खीरे से किया जाता है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि श्रीकृष्णा का जन्म खीरे से कराने का सही तरीका क्या है? आइए इसके बारे में जानते हैं।

हर साल भाद्रपद यानी भादो माह की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी (Janmashtami 2024) का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल इस तिथि का शुभारंभ 25 अगस्त 2024 दिन रविवार की रात 3 बजकर 39 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 26 अगस्त 2024 दिन सोमवार की रात 2 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में जन्माष्टमी (Janmashtami 2024) का पर्व 26 अगस्त को मनाया जाएगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन खीरे से कृष्णा का जन्म कैसे कराते हैं।

कैसे कराएं खीरे से बाल गोपाल का जन्म?

शास्त्रों के मुताबिक जिस तरह से एक बच्चे का जन्म माता की कोख से होता है, ठीक उसी तरह से जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) का जन्म खीरे से होता है। इस दिन सुबह से ही श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल को खीरे के अंदर रखा जाता है और रात के 12 बजे जन्म के समय उनको खीरे से बाहर निकालकर उनका जन्मोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे नाल छेदन (Naal Chhedan) भी कहा जाता है।

नाल छेदन का सही तरीका क्या है?

धार्मिक मान्यता के मुताबिक जन्माष्टमी के दिन खीरे को काटकर श्रीकृष्ण का जन्म करवाने की प्रक्रिया को नाल छेदन कहा जाता है। इस दौरान खीरे को भगवान कृष्ण के पास रखकर रात के ठीक 12 बजे एक सिक्के से खीरा और डंठल को बीच से काट दें। इस विधि से ही नाल छेदन कराना चाहिए। इस विधि के बाद कान्हा का शंख बजाकर स्वागत करें और खुशियां मनाएं। फिर विधि-विधान से बाल गोपाल की पूजा करें और धनिया से बनी पंजीरी और चरणामृत के साथ ही खीरे का भोग लगाएं।  

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Updated 16:57 IST, August 24th 2024