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अपडेटेड 7 July 2024 at 12:06 IST

Jagannath Yatra: भगवान जगन्नाथ की मूर्ति अधूरी क्यों है? पढ़ें प्रचलित कथा

Puri Jagannath Idol History: जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियां क्यों अधूरी हैं, इसके बारे में पता होना जरूरी है। जानते हैं क्या है कहानी...

Reported by: Garima Garg
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Jagannath's Rath Yatra
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा | Image: Shutterstock

What is the story behind Jagannath idols? जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा के पुरी में स्थित है। यह चार पवित्र धामों में से एक माना जाता है। वहीं आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को इस मंदिर से भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। बता दें कि इस साल रथ यात्रा दो दिन चलेगी यानी 7 जुलाई से 8 जुलाई तक। दूर-दूर से लोग इस रथ यात्रा को देखने के लिए आते हैं। मान्यता है कि ज्येष्ठ भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा के साथ श्री कृष्ण यहां पर विराजमान हैं। लेकिन यह मूर्तियां आज भी अधूरी हैं। 

आखिर इसके पीछे क्या कहानी है, आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियां क्यों अधूरी है। पढ़ते हैं आगे...

भगवान जगन्नाथ की मूर्तियां क्यों हैं अधूरी?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जगन्नाथ जी का मंदिर इंद्रद्युम्न बनवा रहे थे। उस दौरान जगन्नाथ जी की मूर्ति बनाने का काम इंद्रधनुष ने देव शिल्पीकार विश्वकर्मा को दिया। लेकिन विश्वकर्मा ने राजा के सामने एक शर्त रखी कि जब तक वह मूर्तियां बनाई थी तब तक उनके कमरे में कोई भी प्रवेश नहीं करेगा और अगर किसी ने मूर्ति के दौरान प्रवेश किया तो वह मूर्ति अधूरी छोड़ कर चले जाएंगे। राजा ने यह शर्त तो मान ली और मूर्ति का काम भी शुरू हो गया लेकिन हमेशा उनके मन में यह इच्छा रहती थी कि वह मूर्ति का निर्माण होता हुआ देखें। ऐसे में ये जानने के लिए वह दरवाजे के दूसरी तरफ खड़े हो जाते और आवाज सुनते। एक दिन राजा को अंदर से कोई आवाज नहीं है तो उन्हें लगा की मूर्तियों का काम पूरा हो गया है या विश्वकर्मा काम छोड़ कर चले गए तो उसके बाद उन्होंने दरवाजा खोला। विश्वकर्मा नाराज होकर अंतर्ध्यान हो गए और भगवान जगन्नाथ भाई बलराम और सुभद्रा की मूर्ति अधूरी रह गई। वैसे तो हिंदू मान्यता में खंडित मूर्तियों या अधूरी मूर्ति की पूजा अशुभ है लेकिन जगन्नाथ धाम में उनकी मूर्तियों की पूजा बेहद ही श्रद्धा पूर्वक की जाती है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

पब्लिश्ड 7 July 2024 at 12:06 IST