अपडेटेड 25 August 2025 at 15:53 IST

Hartalika Teej Vrat Katha 2025: हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाएं जरूर पढ़ें व्रत कथा, मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान

Hartalika Teej Vrat Katha 2025: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद सौभाग्यशाली माना जाता है। अब ऐसे में इस दिन जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, उन्हें व्रत कथा जरूर पढ़ना चाहिए। आइए इस लेख में हरतालिका तीज की व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Hartalika Teej Vrat Katha 2025
Hartalika Teej Vrat Katha 2025 | Image: Meta Ai

Hartalika Teej Vrat Katha 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन किया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी महिला के वैवाहिक जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी आ रही है तो हरतालिका तीज के दिन व्रत रखने से और पूजा-पाठ करने से लाभ हो सकता है। आपको बता दें, इस साल हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। पंचांग के हिसाब से 25 अगस्त सोमवार यानी कि आज दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ हो चुकी है। जो 26 अगस्त मंगलवार को दोपहर 01 बजकर 54 मिनट पर होगा। अब ऐसे में इस दिन जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, वह कथा अवश्य पढ़ें। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

हरतालिका तीज का दिन सुहागिन महिलाएं पढ़ें ये व्रत कथा

हरतालिका तीज की पूजा व्रत कथा के बिना अधूरी मानी जाती है। इसलिए इस दिन जो भी महिलाएं व्रत रख रही हैं, वह व्रत कथा जरूर पढ़ें। तीज की व्रत कथा के अनुसार, माता पार्वती बचपन से ही भगवान शिव के प्रति अटूट प्रेम करती थीं और वह उन्हें अपने जीवन साथी के रूप में पाना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने हिमालय के गंगा तट पर कठिन तपस्या शुरू की। इस तपस्या में उन्होंने अन्न और जल का त्याग किया था और केवल सूखे पत्ते खाकर जीवन यापन करती थीं। माता पार्वती की इस स्थिति को देखकर उनके माता-पिता बहुत दुखी हो गए थे, लेकिन वे अपनी बेटी के दृढ़ निश्चय से अंजान थे।

एक दिन की बात है देव ऋषि नारद भगवान विष्णु के संदेश के साथ पार्वती के माता-पिता के पास गए और पार्वती के विवाह के लिए एक प्रस्ताव लेकर आए। पार्वती के माता-पिता इस प्रस्ताव से खुश हुए, लेकिन जब उन्होंने यह समाचार पार्वती को सुनाया, तो वह बहुत दुखी हुईं। उनका दिल तो पहले ही भगवान शिव में बसा था, और वह केवल उन्हीं को अपने पति के रूप में स्वीकार करना चाहती थीं।

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पार्वती ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और अपनी एक सखी से कहा कि वह सिर्फ भोलेनाथ को ही पति के रूप में स्वीकार करेंगी। अपनी सखी की सलाह पर, पार्वती जी ने घने जंगल में एक गुफा में भगवान शिव की पूजा शुरू की। भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन, हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनाया और विधिपूर्वक पूजा की, साथ ही रात भर उन्होंने जागरण किया। माता पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।

ऐसा कहा जाता है कि जिस कठोर तपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया, उसी प्रकार इस व्रत को करने वाली सभी महिलाओं के जीवन में सुख, समृद्धि और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है। इस दिन गौरा और शिव से अखंड सुहाग की कामना करनी चाहिए।

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Published By : Aarya Pandey

पब्लिश्ड 25 August 2025 at 15:53 IST