अपडेटेड 18 October 2025 at 12:08 IST

Dhanteras 2025: धनतेरस पर लोग क्यों खरीदते हैं झाड़ू और धनिया? परंपरा के पीछे छिपे हैं खास कनेक्शन

Dhanteras 2025: धनतेरस के दिन अक्सर लोग झाड़ू और धनिया खरीदते हैं, आइए जानते हैं कि इसके पीछे का क्या है खास कनेक्शन?

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Dhanteras 2025
Dhanteras 2025 | Image: freepik

Dhanteras 2025: आज यानि 18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस से दीपावली के त्योहार की शुरुआत हो चुकी है। इस दिन को सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन घर में सोना-चांदी, बर्तन, झाड़ू और धनिया जैसी चीजें खरीदने को शुभ माना जाता है। अब तक आपने शायद यही सुना होगा कि यह सिर्फ मान्यता है, लेकिन असल में इन चीजों का रिश्ता धर्म के साथ-साथ हेल्थ और नेचर से भी जुड़ा है।

धनिया खरीदने का महत्व

धनिया सिर्फ पूजा की थाली की शोभा को ही नहीं बढ़ाती है, बल्कि यह डायजेस्टिव सिस्टम के लिए वरदान के रूप में मानी गई है। इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स और एसेंशियल ऑयल्स मौजूद होते हैं, जो पेट को दुरुस्त रखते हैं और गैस, अपच, कब्ज जैसी समस्याओं से राहत देते हैं। दिवाली के दौरान जब तला-भुना भोजन ज्यादा खाया जाता है, तब धनिया का सेवन शरीर करने से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही, इसमें पाया जाने वाला लिनालूल शरीर की सूजन कम करता है और बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। यही वजह है कि ठंड के मौसम में धनिया रोग इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करता है।

धनिया के बीज मिट्टी में बोने से उसकी फर्टीलिटी बढ़ती है। यह नाइट्रोजन फिक्सेशन के जरिए मिट्टी को पोषक बनाता है। इसलिए धनतेरस पर धनिया खरीदने और उसे बोने की परंपरा सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी है।

झाड़ू खरीदने की परंपरा

झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि यह घर से गंदगी, दरिद्रता और नेगेटिव एनर्जी को दूर करती है। लेकिन वैज्ञानिक रूप से देखें तो झाड़ू हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ी है।

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  • नई झाड़ू से सफाई करने के फायदे: यह धूल और एलर्जेंस को हवा में फैलने से रोकती है, जिससे सांस की समस्याओं का खतरा कम होता है। यह वातावरण को स्वच्छ और हवा को शुद्ध रखती है।
  • तनाव कम करने में भी मददगार: नई झाड़ू से सफाई करना एक तरह की ‘रिचुअल क्लीनिंग’ है, जो मनोवैज्ञानिक रूप से 'फ्रेश स्टार्ट' का एहसास देती है। इससे दिमाग शांत होता है और स्ट्रेस कम  होता है।
    साथ ही, पारंपरिक घास या नारियल से बनी झाड़ू पर्यावरण-अनुकूल होती हैं, जो प्लास्टिक झाड़ू की तुलना में कम कचरा पैदा करती हैं। इस तरह झाड़ू खरीदना स्वच्छता, सेहत और पर्यावरण, तीनों के लिए शुभ होता है।

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Published By : Kirti Soni

पब्लिश्ड 18 October 2025 at 12:08 IST