अपडेटेड 3 November 2025 at 23:38 IST
Dev Deepawali 2025 Katha: क्यों मनाई जाती है कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली? जानें क्या है भगवान शिव और राक्षस त्रिपुरासुर की पूरी कहानी
Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा की रात जब गंगा के घाटों पर लाखों दीप जलते हैं, तो ऐसा लगता है मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। देव दीपावली न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें अच्छाई, आस्था और प्रकाश के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है।
- धर्म और अध्यात्म
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Tripuri Purnima 2025: देव दीपावली यानी देवताओं की दिवाली, कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन पूरे वाराणसी में दीपों का सागर देखने को मिलता है। गंगा घाटों से लेकर मंदिरों तक लाखों दीप जलाए जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन खुद देवता भी धरती पर उतरकर दीप जलाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देव दीपावली क्यों मनाई जाती है और इसके पीछे भगवान शिव और राक्षस त्रिपुरासुर की कौन-सी कथा जुड़ी है? आइए जानते हैं।
देव दीपावली कब मनाई जाती है?
देव दीपावली हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि दीपावली के ठीक पंद्रह दिन बाद आती है। साल 2025 में देव दीपावली 5 नवंबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान, दीपदान और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है।
देव दीपावली का धार्मिक महत्व
मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। उसी जीत की खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था। तभी से यह दिन “देव दीपावली” कहलाया। इसे देवताओं की दिवाली कहा जाता है।
त्रिपुरासुर की कथा
त्रिपुरासुर नाम का एक अत्यंत बलशाली राक्षस था। उसने कठोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया कि कोई भी देवता उसे मार नहीं सकेगा। वरदान के बाद त्रिपुरासुर ने तीन लोकों में अत्याचार मचाना शुरू कर दिया। उसने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया।
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बेबस देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे सहायता मांगी। तब भगवान शिव ने ब्रह्मा जी से एक दिव्य रथ, धनुष और बाण प्राप्त किया। जब तीनों नगर (त्रिपुर) एक सीध में आए, उसी क्षण भगवान शिव ने एक ही बाण से उन नगरों का नाश कर दिया और त्रिपुरासुर का अंत किया।
इस विजय के बाद देवताओं ने प्रसन्न होकर दीप जलाकर उत्सव मनाया गया। यही दिन “त्रिपुरारी पूर्णिमा” और “देव दीपावली” के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
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देव दीपावली पर क्या करें
- गंगा स्नान करें - इस दिन गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
- दीपदान करें - शाम को घर, मंदिर या नदी किनारे दीप जलाएं।
- भगवान शिव की पूजा - शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाएं।
- दान-पुण्य करें - जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या दीप दान दें।
देव दीपावली का संदेश
देव दीपावली हमें सिखाती है कि जब भी बुराई बढ़ती है, तब भगवान किसी न किसी रूप में आकर धर्म की रक्षा करते हैं। यह दिन अंधकार पर प्रकाश और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Samridhi Breja
पब्लिश्ड 3 November 2025 at 23:38 IST