अपडेटेड 23 October 2025 at 19:28 IST
Chhath Puja 2025: छठ पूजा में सूप और दउरा का क्यों किया जाता है इस्तेमाल? जानें धार्मिक और ज्योतिष महत्व
Chhath Puja 2025: हिंदू धर्म में छठ पूजा का विशेष विधान है। इस दिन महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं। अब ऐसे में बांस के बने सूप और दउरा का ही क्यों इस्तेमाल किया जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Chhath Puja 2025: छठ महापर्व का मुख्य रूप से सूर्यदेव और छठी माता को समर्पित है। यह व्रत जितना पवित्र है, उतना ही कठिन है। छठ पूजा दिवाली के ठीक 6 दिन के बाद आता है। हिंदू पंचांग के हिसाब से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन छठ पूजा का व्रत रखा जाता है। छठ पूजा के दिन सभी महिलाएं संतान सुख और घर की सुख-शांति के लिए व्रत रखती हैं।
इस व्रत का आरंभ 25 अक्टूबर से होने जा रहा है। नहाय-खाय के साथ इस व्रत का आरंभ हो जाता है और सूर्यदेव को उषाकाल में अर्घ्य देने के बाद छठ पूजा का समापन हो जाता है। अब ऐसे में छठ पूजा के दिन बांस के बने सूप और दउरा का इस्तेमाल क्यों किया जाता है। इसका धार्मिक और ज्योतिष महत्व क्या है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
बांस से बने सूप और दउरा का धार्मिक महत्व
छठ पूजा प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है। इसमें जिन सामग्रियों का उपयोग होता है, वे भी प्रायः प्राकृतिक ही होती हैं। बांस को शुद्ध और पवित्र माना जाता है, इसलिए पूजा के लिए बांस से बने सूप और दउरा का उपयोग किया जाता है।
बांस एक प्राकृतिक वस्तु है और इसे प्रकृति का प्रतीक माना जाता है। चूंकि छठ पूजा में प्रकृति की पूजा यानी कि सूर्य देव की आराधना की जाती है, इसलिए बांस के बने सूप और टोकरी का इस्तेमाल किया जाता है। बांस को अत्यंत शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इसलिए, पूजा की सामग्री को रखने के लिए बांस के पात्रों का प्रयोग होता है, ताकि प्रसाद और अर्घ्य की पवित्रता बनी रहे।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बांस को 'वंश' या 'वंशिका' भी कहा जाता है। यह तेजी से बढ़ने वाला पौधा है और इसलिए इसे वंश वृद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। छठ पर्व संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए किया जाता है। छठ पूजा में सूप का इस्तेमाल करने से व्रती को संतान सुख और घर में धन-धान्य की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है।
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सूप और दउरा का ज्योतिष महत्व क्या है?
बांस तेजी से बढ़ने वाला पौधा है और इसे सूर्य देव की ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, बांस के सूप और दउरा का उपयोग करने से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं और व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
सूप का उपयोग न केवल पूजा में होता है, बल्कि यह प्राचीन काल से ही अनाज को साफ करने और घर में समृद्धि लाने का प्रतीक रहा है। छठ पूजा में सूप में सभी ऋतु फल, ठेकुआ और अन्य पकवानों को सजाकर छठी मैया और सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली आती है।
छठ पूजा में व्रती महिलाएं इन सूप और दउरा में पूजा सामग्री और अर्घ्य का प्रसाद रखकर पैदल ही नदी या तालाब के घाट तक ले जाती हैं। यह प्रक्रिया अत्यंत श्रद्धा और त्याग को दर्शाती है। दउरा और सूप में प्रसाद रखकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बिना यह महापर्व अधूरा माना जाता है।
Published By : Aarya Pandey
पब्लिश्ड 23 October 2025 at 19:28 IST