अपडेटेड 26 October 2025 at 23:36 IST
Chhath Puja 2025 Sandhya Arghya Vidhi: छठ का तीसरा दिन आज, जानें संध्या अर्घ्य की पूजा विधि से लेकर शुभ मुहूर्त तक की पूरी जानकारी
छठ पूजा के तीसरे दिन के दौरान संध्या अर्घ्य करते समय सच्चे मन से सूर्यदेव और छठी माता के लिए जाप करें। यह बेहद शुभ माना जाता है।
- धर्म और अध्यात्म
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छठ पूजा का तीसरा दिन यानि आज का दिन सबसे खास माना जाता है क्योंकि इस दिन श्रद्धालु सूर्य देव को संध्या अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह दिन आस्था, समर्पण और शुद्धता का प्रतीक होता है। इस समय डूबते सूर्य को जल चढ़ाने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। आइए जानते हैं छठ पूजा के संध्या अर्घ्य की पूरी विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में-
संध्या अर्घ्य की तिथि और शुभ मुहूर्त
- तारीख: 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार) (आज का दिन)
- अर्घ्य का समय: शाम 5:14 बजे से 5:45 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा। हल्का-हल्का अंधेरा होने के बाद आप जल चढ़ा सकते हैं।
इस समय सूर्य देव अस्त होने से पहले का अर्घ्य स्वीकार करते हैं। इस दौरान व्रती महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए सूर्य देव से आशीर्वाद मांगती हैं।
संध्या अर्घ्य की पूजा विधि ( Puja Vidhi)
- संध्या समय व्रती महिलाएं और उनके परिवार के सदस्य स्नान करके नए या साफ कपड़े पहनते हैं।
- सभी व्रती गंगा, तालाब, नदी या घर के आंगन में बने कृत्रिम जलाशय के किनारे पहुंचते हैं।
- बांस की डलिया या सूप में पूजा की सामग्रियां रखी जाती हैं, जैसे ठेकुआ, केला, नारियल, शहद, गन्ना, सिंघाड़ा, सुथनी और दीपक।
- सूर्य देव की ओर मुख करके खड़े होकर दोनों हाथों से दूध और जल मिश्रण से सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
- इस दौरान “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ अदित्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
- अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव की आरती करें और अपने परिवार की सुख-शांति की कामना करें।
- पूजा समाप्त होने के बाद व्रती जल में दीप प्रवाहित करते हैं, जो छठी माई को समर्पित माना जाता है।
संध्या अर्घ्य का महत्व
छठ का तीसरा दिन सूर्यास्त के समय सूर्य देव और छठी माई की आराधना के लिए होता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय सूर्य की किरणें शरीर को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती हैं।
संध्या अर्घ्य देने से जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं। इसके अलावा आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, परिवार में सुख, सौभाग्य व समृद्धि का वास होता है।
अगले दिन सुबह अर्घ्य (Usha Arghya)
संध्या अर्घ्य के बाद अगली सुबह यानी छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्य को उषा अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद व्रती अपना व्रत पारण करते हैं और छठ पूजा संपन्न होती है।
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छठ पूजा का संध्या अर्घ्य न सिर्फ पूजा का एक हिस्सा है, बल्कि यह व्रती की तपस्या, आस्था और परिवार के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस दिन की गई सच्ची श्रद्धा से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और जीवन में खुशहाली का संचार करते हैं।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Samridhi Breja
पब्लिश्ड 26 October 2025 at 23:33 IST