अपडेटेड 17 September 2024 at 21:34 IST
Chandra Grahan Katha: क्यों लगता है चंद्र ग्रहण? इसके पीछे छुपी है ये पौराणिक कथा, पढ़ें...
Chandra Grahan 2024: खगोलीय घटना माने जाने वाले चंद्र ग्रहण के पीछे वैज्ञानिक ही नहीं धार्मिक कारण भी है। आइए इसके पीछे की पौराणिक कथा के बारे में जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Chandra grahan katha in hindi: साल 2024 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण कल यानी 18 सितंबर 2024 दिन बुधवार को लगने जा रहा है। ग्रहण की घटना को वैज्ञानिक खगोलीय घटना मानते हैं, जिसके दौरान सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है उस समय चंद्र ग्रहण लगता है। वहीं धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक यह राहु-केतु ग्रह से जुड़ा हुआ है। इसके पीछे की पौराणिक कथा भी काफी प्रचलित हैं। तो चलिए जानते हैं कि चंद्र ग्रहण के पीछे कौन सी कथा छुपी हुई है।
आपको बता दें कि साल 2024 में दो चंद्र ग्रहण (Chandra grahan 2024) लगने थे, जिसमें से पहला 25 मार्च 2024 को लग चुका है और दूसरा कल यानी 18 सितंबर 2024 दिन बुधवार को लगने जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इसके पीछे कौन सी पौराणिक कथा छुपी हुई है।
चंद्र ग्रहण के पीछे ये है पौराणिक कथा
प्राचीनकाल की बात है, जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया गया। इस मंथन से कई रत्नों के साथ-साथ कई अद्भुत वस्तुएं भी निकलीं, जिनमें एक अमृत का घड़ा भी शामिल था। अमृत पाने के लिए देवता और असुर दोनों में काफी संघर्ष हुआ। हालांकि अंत में देवताओं ने अमृत पाने में सफलता प्राप्त की।
अमृत पीने के बाद देवताओं की शक्ति बढ़ गई जिससे उन्होंने असुरों को पराजित किया, लेकिन इस दौरान एक असुर जिसका नाम 'राहु' था, उसने देवताओं के बीच घुसकर अमृत पीने का प्रयास किया, लेकिन देवताओं ने उसे पहचान लिया और सूर्य और चंद्रमा ने मिलकर उसे अमृत पीने से रोक दिया। ऐसे में राहु ने अपनी कूटनीति से कुछ अमृत पी लिया था, लेकिन उससे पहले सूर्य और चंद्रमा ने उसकी पहचान कर ली और देवताओं को सूचित कर दिया।
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इस घटना के कारण राहु ने सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने की ठानी। वह अंधेरे में छिपकर सूर्य और चंद्रमा को निगलने का प्रयास करता है। जब वह सूर्य या चंद्रमा को निगलता है, तब चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण का संयोग बनता है। यही कारण है कि जब भी चंद्रमा सूर्य के सामने आता है, तब राहु उसे निगलने की कोशिश करता है, जिससे यह ग्रहण उत्पन्न होता है। वहीं इस प्रकार चंद्र ग्रहण को राहु की कूटनीति और देवताओं की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह कथा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में संघर्ष और विजय की भी एक शिक्षा देती है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 17 September 2024 at 21:34 IST