अपडेटेड 9 November 2025 at 21:59 IST

​Chanakya Niti: ऐसे लोगों का होता है अपमान, पीठ पीछे होती है थू-थू, भूलकर भी ना डालें ये आदत, चाणक्य की सलाह

Chanakya Niti के मुताबिक आपको किन आदतों से समाज में अपमान सहना पड़ता है। जानें सुधारने के तरीके ताकि, आपको भविष्य में सम्मान और सफलता मिले।

Chanakya Niti in hindi
चाणक्य की सलाह | Image: social media

Chanakya Niti Indian philosophy: आचार्य चाणक्य को प्राचीन भारत के महान नीति‑शास्त्री माना जाता है। उनकी रचनाएं, अर्थशास्त्र और नीति‑सार आज भी व्यक्तिगत व्यवहार और सामाजिक संबंधों के अध्ययन करने के लिए काम आते हैं। इन ग्रंथों में चाणक्य ने उन आदतों के बारे में बताया है, जिनके कारण व्यक्ति का सामाजिक मान‑सम्मान घट सकता है। इस लेख में हम उन 6 आदतों के बारे में बताया जा रहा है। जो आपको समाज में बेइज्जती करा सकती है। चाणक्य ने कुछ सलाह भी दी है, कैसे अपनी इन आदतों को सुधारा जा सकता है।

आदतें जो समाज में थू‑थू करवाती हैं...

दूसरों की बुराई करना: 

इस आदत में हम हमेशा दूसरों की निंदा करते हैं। लेकिन इस तरह लोग हमारे व्यवहार से परिचित हो जाते हैं और खुद ही दूरी बनाने लगते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि आप उनका विश्वास भी तोड़ दोगे और उसकी भी बुराई आगे किसी और से करोगे।

बातों को बढ़ा‑चढ़ा कर कहना: 

ये आदत हमें सत्य से दूर ले जाती है, जब हम बात बढ़ा कर बताते हैं तो यकीनन उस बात की जो सच्चाई थी वो खत्म हो जाती है। ऐसे में भरोसेमंदता घटती है। साथ ही लोग आपका सम्मान करना कम कर देते हैं।

दूसरों का अपमान करना: 

अगर आपको किसी का अपमान करके खुशी मिलती है तो ये आदत छोड़ देनी चाहिए। यह दुश्मनी को न्योता देता है। इसके साथ ही जो इंसान विनम्र नहीं होता समाज उसे खास पसंद नहीं करता है।

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झूठ बोलना: 

सच को छुपा कर झूठ बोलने वाले इंसान को लोग जल्दी ही पहचान जाते हैं। कई बार लोग मुंह पर खुलासा भी कर देते हैं। वहीं कई बार एक झूठ को छुपाने के लिए 100 झूठ बोलने पड़ते हैं, ऐसे में आपको समाज से सम्मान मिलेगा ये आप भूल ही जाओ, यही कारण होता है कि आपके संबंधों में भी दरार आ जाती है।

लोभ और लालच: 

इंसान जितना लालची होगा उतना वह दुख में रहेगा, क्योंकि इच्छाएं कभी खत्म नहीं होती। हमें ज्यादा लोभ से बचना चाहिए, नहीं तो किसी छोटी सी चीज को पाने के चक्कर में बड़ी बेज्जती हो सकती है। लोगों को हसने का मौका भी मिल जाएगा और समाज में काफी थू-थू होगी।

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बिना बुलाए कहीं पहुंचना:

चाणक्य कहते हैं कि बिना निमंत्रण के हमें कभी नहीं जाना चाहिए। इससे असम्मान और सामाजिक हंसी उड़ सकती है ।

क्यों ये आदतें सामाजिक अपमान का कारण बनती हैं?

आचार्य चाणक्य ने कहा है-  'यथा कर्म तथा फलम्', यानी जैसा कर्म वैसा फल। जब कोई व्यक्ति लगातार दूसरों की निंदा या झूठ बोलता है, तो वह सामाजिक समूह में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है। चाणक्य की नीति में ‘सामाजिक संतुलन’ को बनाए रखने के लिए व्यक्तिगत आचरण को अच्छा करना अनिवार्य माना गया है। इस संतुलन का उल्लंघन करने से आपके सम्मान को हानि पहुंच सकती है।

चाणक्य की सलाह

1. सत्य और विनम्रता को अपनाएं: सच को अपनाकर ही आत्म‑सम्मान बढ़ता है।
2. निंदा से बचें: दूसरों की बुराई के बजाय अपने सुधार पर ध्यान दें।
3. साफ और सटीक बोलें: अनावश्यक विस्तार से बचें, जिससे भ्रम न हो। साफ और सही बात ही आगे शेयर करें।
4. लोभ को नियंत्रित रखें: जरूरत से ज्यादा इच्छा न रखें। इससे तकलीफ ही मिलेगी।
5. निमंत्रण का सम्मान करें: बिना बुलाए किसी भी समारोह में न जाएं।

इन चाणक्य सिद्धांतों को रोज के जीवन में लागू करके आपके व्यक्तिगत प्रतिष्ठा में बड़ी वृद्धि होगी, साथ ही सामाजिक संबंध भी मजबूत होंगे। इसके अलावा आपके रिश्ते भी इससे बेहतर होंगे। 

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 9 November 2025 at 21:59 IST