अपडेटेड 3 April 2025 at 13:06 IST
Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि के दौरान जरूर करें इस स्तोत्र और मंत्रों का जप, जल्दी होगा विवाह; नहीं आएगी अड़चन!
Chaitra Navratri 2025 Upay: चैत्र नवरात्रि के दौरान आप विवाह को लेकर इन मंत्रों का जप कर सकते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Chaitra Navratri 2025 Stotra Aur Mantra: चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) की शुरुआत 30 मार्च 2025 से हो चुकी है। नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। आज यानी गुरुवार को षष्ठी तिथि के दिन यानी नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने का विधान है। कहते हैं नवरात्रि के दौरान जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से देवी के सभी स्वरूपों की पूजा करते हैं उन पर माता की कृपा हमेशा बनी रहती है।
ऐसे में अगर आपके विवाह में अड़चनें आ रही हैं या आपको मनचाहा वर नहीं मिल रहा है तो इसके लिए आप नवरात्रि के दौरान यहां दिए गए स्तोत्र और मंत्रों का जप कर सकते हैं। ऐसा करने से आपका विवाह बिना किसी विघ्न के जल्दी संपन्न होगा और आपको मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति भी होगी। तो चलिए जानते हैं इन मंत्रों और स्तोत्र के बारे में।
अथार्गला स्तोत्रम् (Athargala stotram)
ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥
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मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
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रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।
स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥
शीघ्र विवाह के लिए मंत्र (Vivah ke liye mantra)
- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नमः
- हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया।
मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम्॥ - ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्द गोपसुतं देवि पति में कुरुते नमः।। - ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ
चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा।। - ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं च देहि मे।। - क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।
- ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा।
- ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः।
- ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय
पुरुषार्थ चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा।। - मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 3 April 2025 at 13:06 IST