अपडेटेड 1 April 2025 at 20:08 IST

Chaitra Navratri 2025 Day 4th: मां कूष्मांडा की आरती, कवच, ध्यान, मंत्र और स्तोत्र

Chaitra Navratri 2025 Day 4th: मां कूष्मांडा की आरती, कवच, ध्यान, मंत्र और स्तोत्र क्या हैं। जानते हैं इस लेख के माध्यम से...

Kushmanda Devi
Chaitra Navratri 2025 Day 4th | Image: X

Chaitra Navratri 2025 Day 4th: नवरात्रि के दिन माताओं को समर्पित है। हम बात कर रहे हैं नवरात्रि के चौथे दिन की। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। ऐसे में यदि आप माता को प्रसन्न करना चाहते हैं तो यहां दिए गए कवच, स्तोत्र, आरती और मंत्र पढ़ सकते हैं। ऐसे में इनके बारे में पता होना जरूरी है।

आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि  मां कूष्मांडा की आरती, कवच, ध्यान, मंत्र और स्तोत्र क्या है। पढ़ते हैं आगे...

मां कूष्मांडा का कवच

हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।
हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥
कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,
पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
दिग्विदिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजम् सर्वदावतु॥

मां कूष्मांडा का स्त्रोत

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

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मां कुष्मांडा के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र

  • ऐं ह्री देव्यै नम:
  • सुरासम्पूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।
  • या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
  • ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

मां कुष्मांडा का ध्यान

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

आरती देवी कूष्माण्डा जी की ॥

कूष्माण्डा जय जग सुखदानी।मुझ पर दया करो महारानी॥ 
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली।शाकम्बरी माँ भोली भाली॥ 
लाखों नाम निराले तेरे।भक्त कई मतवाले तेरे॥ 
भीमा पर्वत पर है डेरा।स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥ 
सबकी सुनती हो जगदम्बे।सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥ 
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।पूर्ण कर दो मेरी आशा॥ 
माँ के मन में ममता भारी।क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥ 
तेरे दर पर किया है डेरा।दूर करो माँ संकट मेरा॥ 
मेरे कारज पूरे कर दो।मेरे तुम भंडारे भर दो॥ 
तेरा दास तुझे ही ध्याए।भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 1 April 2025 at 20:06 IST