अपडेटेड 21 August 2024 at 21:10 IST
Bhadrapad Niyam: शुरू हो चुका है भादों का खास महीना, जानें इसका महत्व और नियम
Bhadrapad 2024: हिंदू पंचांग का भाद्रपद माह शुरू हो चुका है। आइए इस महीने का महत्व और नियम के बारे में जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Bhado Ka Mahatav Aur Niyam: 19 अगस्त 2024 दिन सोमवार को सावन माह के समापन के साथ ही 20 अगस्त 2024 दिन मंगलवार से भादों यानी भाद्रपद की शुरुआत हो चुकी है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक जिस तरह से सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित किया गया है, ठीक उसी तरह से भादों माह भगवान कृष्ण और गणपति महाराज को समर्पित है। इस माह में इनकी विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। वहीं इस माह के कुछ नियम भी हैं, जिनका पालन करना बहुत ही जरूरी होता है।
ये पूरा महीना भगवान कृष्ण और शिव परिवार को समर्पित किया गया है। इस दौरान की गई पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है। इस माह में जन्माष्टमी से लेकर गणेश चतुर्थी तक कई बड़े और महत्वपूर्ण पर्व भी आते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस महीने में कुछ नियमों का पालन भी करना पड़ता है, नहीं तो चलिए जानते हैं भाद्रपद का महत्व और इसके नियम।
कब से कब तक है भादों का महीना
इस साल सावन माह की समाप्ती के साथ ही 20 अगस्त 2024 दिन मंगलवार से भादों माह की शुरुआत हो चुकी है, जिसका समापन 18 सितंबर 2024 दिन बुधवार को होगा। ऐसे में आइए जानते हैं इस महीने के महत्व और नियम के बारे में...
भाद्रपद माह का महत्व?
हिंदू धर्म में भाद्रपद यानी भादो माह का विशेष महत्व माना गया है। ये चातुर्मास का दूसरा महीना है और इसी माह में भगवान विष्णु ने धरती पर कृष्ण अवतार में जन्म लिया था। इसके अलावा भादो में ही गणेश चतुर्थी का भी त्योहार मनाया जाता है साथ ही इस पूरे महीने शिव परिवार की पूजा का विधान है। कहते हैं कि भादो के महीने में लड्डू गोपाल का पूजन किया जाए तो घर में सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
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भादो में इन नियमों का जरूर करें पालन
- जो लोग आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं उन्हें इस माह में भूलकर भी चावल और नारियल तेल का दान नहीं करना चाहिए।
- भाद्रपद में दही और गुड़ का सेवन करना वर्जित होता है। कहते हैं कि इस महीने में बारिश के बाद काफी कीड़े हो जाते हैं जिसकी वजह से बीमारियां फैलती है।
- इसके अलावा भादो में मूली और बैंगन का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
- भादो में श्रीकृष्ण की पूजा करते समय उन्हें तुलसी के पत्ते जरूर अर्पित करने चाहिए। कहते हैं कि कृष्ण जी को तुलसी अतिप्रिय है और उसके पत्ते अर्पित करने से वह प्रसन्न होते हैं।
- इस माह में दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है ऐसे में इसलिए पूरे माह में अपने सामर्थ के हिसाब से दान-पुण्य करते रहना चाहिए।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 21 August 2024 at 21:10 IST