अपडेटेड 19 July 2024 at 20:19 IST
Arjun Death Story: अर्जुन के पुत्र ने किया अपने ही पिता का वध, महाभारत युद्ध के बाद शुरू हुआ असल खेल
What was the reason for Arjuna's death? क्या आप जानते हैं कि अर्जुन के पुत्र ने ही अपने पिता का वध कर दिया था। जी हां, इसके पीछे एक किस्सा है। पढ़ते हैं....
- धर्म और अध्यात्म
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How did Babruvahana kill Arjuna? महाभारत का नाम लेते ही सबसे पहला ध्यान अर्जुन की तरफ जाता है। अर्जुन जैसा धनुर्धर पूरे युद्ध में कोई नहीं था। महाभारत ग्रंथ में भी अर्जुन के बारे में कई प्रकार से वर्णन किया गया है। वहीं महाभारत ग्रंथ में अर्जुन के जन्म से लेकर मृत्यु तक का वर्णन देखने को मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अर्जुन का वध उनके ही पुत्र ने किया था? जी हां, यह किस्सा सुनने में जितना अजीब है उतना ही दिलचस्प भी है।
आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि अर्जुन के पुत्र ने उनका वध क्यों किया था। पढ़ते हैं आगे…
पुत्र ने क्यों किया पिता अर्जुन का वध? (What was the reason for Arjuna's death?)
वैसे तो हम सभी जानते हैं कि स्वर्ग की यात्रा के दौरान अर्जुन की मृत्यु हुई थी। लेकिन आपको बता दें कि उससे पहले भी अर्जुन एक बार मर चुके हैं। वो भी अपने पुत्र के हाथों। जी हां, जानते हैं पूरी घटना…
पौराणिक कथा के अनुसार, जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ तो महर्षि वेदव्यास जी के कहने पर श्री कृष्ण ने अश्वमेध यज्ञ किया। इस यज्ञ में घोड़े को भारत वर्ष में भ्रमण करने के लिए छोड़ा गया। यज्ञ के घोड़े की रक्षा का दायित्व अर्जुन को दिया गया था। ऐसे में जहां घोड़ा गया वहां वहां अर्जुन भी गए। जब घोड़ा मणिपुर पहुंचा तो वहां उनकी पत्नी चित्रांगना और उनके पुत्र बब्रुवाहन रहते थे। वह मणिपुर के राजा थे। जब उन्हें पता चला कि उनके पिता मणिपुर आ रहे हैं तो उन्होंने उनके साथ समय बिताने की इच्छा व्यक्त की। ऐसे में उन्होंने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा रोक दिया और सोचा कि वह उसकी पूरे सम्मान के साथ देखभाल करेंगे।
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लेकिन अर्जुन परंपरा से बंधे हुए थे। ऐसे में अश्वमेध यज्ञ की परंपरा के मुताबिक जो भी इस घोड़े को रोकेगा उससे अर्जुन को युद्ध करना होगा। मजबूरन पुत्र को अपने पिता से युद्ध करना पड़ा। लिहाजा दोनों में युद्ध हुआ और अर्जुन न केवल परास्त हुए बल्कि उनकी मृत्यु भी हो गई। जब उनकी पत्नी चित्रांगना को पता चला तो उन्होंने श्री कृष्ण का आवाहन किया और अर्जुन को पुनः जीवित करने की प्रार्थना की। चूंकि श्री कृष्ण अंतर्यामी थे वे मणिपुर में प्रकट हुए और उन्होंने अपनी दिव्य शक्तियों से अर्जुन को दोबारा जीवन दान दिया। ऐसे में अर्जुन अपने पुत्र के हाथों मरकर भी लौट आए।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 19 July 2024 at 20:14 IST