अपडेटेड 18 March 2024 at 22:07 IST

Amalaki Ekadashi: क्यों और कैसे की जाती है आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा? जानें विधि

आमलकी एकादशी के दिन विष्णु जी के साथ आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व माना जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह और विधि के बारे में।

Amalaki Ekadashi
आमलकी एकादशी पर क्यों की जाती है आंवले के पेड़ की पूजा? | Image: Freepik

Amalaki Ekadashi Par Kyo Ki Jati Hai Amle Ke Ped Ki Puja: साल की 24 एकादशियों में से एक बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जाने वाली आमलकी एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा का विधान है। मान्यता है ऐसा करने पर सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस आंवले के पेड़ की पूजा क्यों और कैसे की जाती है।

दरअसल आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi Puja Vidhi) के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हुईं हैं। कथा के मुताबिक एक बार माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण के लिए आईं। धरती लोक पर आने के बाद उन्हें मन हुआ कि वह भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करें। यह बात तो सभी जानते हैं कि विष्णु जी की पूजा में तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल होता है और शिव जी की पूजा बेलपत्र के साथ की जाती है।

कैसे हुआ आंवले का पेड़ पूजनीय

ऐसे में माता लक्ष्मी के सामने सबसे बड़ी असमंजस थी कि दोनों की पूजा एक साथ कैसे की जाए? तब माता लक्ष्मी को याद आया कि आंवले के पेड़ में तुलसी और बेल दोनों के गुण एक साथ पाए जाते हैं। इसके बाद लक्ष्मी जी ने आंवले के पेड़ को भगवान विष्णु और भगवान शिव का स्वरूप मानकर विधि-विधान से पूजन किया। कहते हैं कि तभी से हिंदू धर्म में आंवले का पेड़ पूजनीय हो गया और तभी से पूजा-पाठ में इसका इस्तेमाल किया जाने लगा।

आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi Upay) आंवले के पेड़ की पूजा करने के फायदे

आंवला एकादशी का व्रत रखने वाले जातक को जीवन में सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। वहीं धर्म ग्रंथों के मुताबिक आमलकी एकादशी  1000 गाय के दान के बराबर का पुण्य प्रदान करती है। इसलिए शास्त्रों में इस व्रत को बहुत ही अच्छा माना गया है।

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कैसे करें आंवले (Amla) के पेड़ की पूजा?

  • आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi 2024) के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर मंदिर की साफ-सफाई कर लें।
  • फिर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
  • इसके बाद विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाएं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा करके आंवले का भोग लगाएं।
  • पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे कलश स्थापित करें।
  • इसके बाद वृक्ष के पूजन के दौरान धूप, दीप, चंदन, रोली, फूल और अक्षत आदि अर्पित करें और गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं।
  • अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर इस कलश, वस्त्र और आंवला का दान कर दें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 18 March 2024 at 22:07 IST