अपडेटेड 29 October 2025 at 07:53 IST
Amla Navami Kab Hai 2025: 30 या 31 अक्टूबर... कब है आंवला नवमी? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, योग और महत्व
Amla Navami Kab Hai 2025: हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व है। यह कार्तिक माह की नवमी तिथि के दिन पड़ती है। अब ऐसे में इस साल आंवला नवमी का व्रत कब रखा जाएगा? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Amla Navami Kab Hai 2025: हिंदू पंचांग के हिसाब से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन आंवला नवमी का व्रत रखने का विधान है। इस दिन को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य और पूजा का फल कभी समाप्त नहीं होता, इसलिए इसे 'अक्षय' कहा जाता है। आपको बता दें, आयुर्वेद में आंवले को अमृत के समान माना गया है। इस दिन आंवले का सेवन करने, आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने और आंवले का दान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन ही सतयुग का आरंभ हुआ था, जो इस तिथि की महत्ता को और बढ़ा देता है। अब ऐसे में इस साल आंवला नवमी का व्रत कब रखा जाएगा? पूजा का शुभ मुहूर्त, योग और महत्व के बारे में भी विस्तार से जानते हैं।
30 या 31 अक्टूबर कब है आंवला नवमी?
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ 30 अक्टूबर 2025, गुरुवार को सुबह 10:06 बजे होगा और इसका समापन अगले दिन 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को सुबह 10:03 बजे होगा। उदया तिथि के आधार पर आंवला नवमी का पर्व 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
आंवला नवमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
आंवला नवमी के दिन पूजा के लिए पूर्वाह्न काल का समय सबसे शुभ माना जाता है, इसलिए 31 अक्टूबर को इस समय पूजा करना विशेष फलदायी होगा।
नवमी तिथि आरंभ 30 अक्टूबर 2025, गुरुवार, सुबह 10 बजकर 06 मिनट से लेकर नवमी तिथि का समापन 31 अक्टूबर शुक्रवारा को सुबह 10 बजकर 03 मिनट पर होगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त - 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को सुबह 06:32 बजे से 10:03 बजे तक है।
आंवला नवमी के दिन कौन सा योग बन रहा है?
आंवला नवमी के दिन वृद्धि योग और रवि योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जो पूजा और दान के महत्व को कई गुना बढ़ा देंगे। माना जाता है कि इन शुभ योगों में किए गए कार्य सफल होते हैं और उनसे मिलने वाला पुण्य स्थिर रहता है।
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आंवला नवमी के दिन पूजा का महत्व क्या है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष पर निवास करते हैं। इसी कारण आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष विधान है। इस दिन ही सतयुग का आरंभ हुआ था। इसलिए इस तिथि का विशेष विधान है। माना जाता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य और पूजा का फल कभी समाप्त नहीं होता, इसलिए इसे 'अक्षय' कहा जाता है।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 29 October 2025 at 07:53 IST