अपडेटेड 19 March 2024 at 10:57 IST
Amalaki Ekadashi: आमलकी एकादशी के दिन ऐसे करें विष्णु जी और आंवले के पेड़ की पूजा, मिलेगा मनचाहा फल
Amalaki Ekadashi 2024: अगर आप आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने जा रहे हैं तो आपको ये सही पूजा विधि जान लेनी चाहिए।
- धर्म और अध्यात्म
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Amalaki Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी का बेहद विशेष महत्व होता है। साल भर में करीब 24 एकादशी पड़ती है। जिसमें एक महीने में दो एकादशी पड़ती है। एकादशी के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है कि एकादशी का व्रत रखने पर पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
वहीं, फाल्गुन मास में पड़ने वाली एकादशी का महत्व बेहद खास होता है। फाल्गुन माह में पड़ने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी (Amlaki Ekadashi), रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) और आंवला एकादशी (Amla Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं कि आमलकी एकादशी इस साल कब मनाई जाएगी और इसकी सही पूजा विधि क्या है।
आमलकी एकादशी डेट 2024 (Amlaki Ekadashi 2024 Date)
पंचांग के अनुसार, आमलकी एकादशी तिथि का 20 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 21 मार्च को सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में आमलकी एकादशी व्रत 20 मार्च को किया जाएगा।
आमलकी एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त (Amlaki Ekadashi Shubh Muhurat)
आमलकी एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 20 मार्च को सुबह 6 बजकर 25 मिनट से सुबह 9 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। वहीं, आप व्रत का पारण अगले दिन यानी 21 मार्च को दोपहर 1 बजकर 31 मिनट से 4 बजकर 7 मिनट तक कर सकते हैं।
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आमलकी एकादशी पूजा विधि (Rangbhari Ekadashi Puja Vidhi)
- आमलकी एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
- फिर मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
- इस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद विष्णु जी के सामने घी का दीपक जलाएं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- विष्णु जी को पूजा के समय पीले फूल, फल और पीली चीजों का भोग आदि अर्पित करें।
- भगवान विष्णु को आप आंवले से बने प्रसाद का भोग भी लगा सकते हैं।
आंवले के पेड़ की पूजा (Amla ke ped ki puja vidhi)
- इसके बाद आंवले के पेड़ की पूजा करने के लिए इस पेड़ के नीचे कलश स्थापित करें।
- इसके बाद वृक्ष के पूजन के दौरान धूप, दीप, चंदन, रोली, फूल और अक्षत आदि अर्पित करें।
- इसके बाद गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं।
- अगले दिन यानी द्वादशी तिथि के मौके पर पेड़ के नीचे रखे गए इस कलश समेत वस्त्र और आंवला आदि का दान कर दें। इससे आपको पूजा का पूरा फल मिलेगा।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 19 March 2024 at 09:26 IST