अपडेटेड 27 April 2025 at 11:16 IST
Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया की पूजा में जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी होगी दूर!
Akshaya Tritiya Stotra: अक्षय तृतीया के मौके पर आपको मां लक्ष्मी के इस स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।
- धर्म और अध्यात्म
- 2 min read

Sri Kanakadhara Stotram: सनातन धर्म में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) का पर्व काफी महत्व रखता है। इस दिन विशेष रूप से धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही लोग अक्षय तृतीया के दिन सोने व चांदी की धातु से बनी चीजों की खरीदारी भी करते हैं।
माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार किस दिन मनाया जाएगा, साथ ही अगर आप मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको अक्षय तृतीया के दिन उनके श्री कनकधारा स्तोत्र का पाठ भी करना चाहिए।
अक्षय तृतीया 2025 तिथि (Akshaya Tritiya 2025 Date)
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 30 अप्रैल को (Kab Hai Akshaya Tritiya 2025) अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन आप मां लक्ष्मी की पूजा करने के साथ-साथ सोने-चांदी से बनी चीजों की खरीदारी भी कर सकते हैं।
श्री कनकधारा स्तोत्रम् (Sri Kanakadhara Stotram)
अंगहरे पुलकभूषणमाश्रयन्ती
भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम्।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला
मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवतायाः।।
Advertisement
मुग्धा मुहुर्विदधती वदनै मुरारैः
प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
मालादृशोर्मधुकरविमोहोत्पले या
सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः।।
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षं
आनन्दहेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्धम्
इन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः।।
Advertisement
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दं
आनन्दकन्दमनिमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं
भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनायाः।।
बाह्यन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या
हारावलीव हरिनीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला
कल्याणभावनतु मे कमलालयायाः।।
कालाम्बुदालिललितोरसिकैटभारेः
धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव।
मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्तिः
भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः।।
प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत्प्रभावान्
मांगल्यभाजि मधुमाथिन मन्मथेन।
मय्यापतेत्तदि ह मन्थरमीक्षणार्धं
मन्दालसं च मकरालयकन्यकायाः।।
दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारां
अस्मिन्नकिञ्चनविहङ्गशिशौ विषण्णे।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं
नारायणप्रणयिनी नयनाम्बुवाहः।।
इष्टा विशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र
दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।
दृष्टिः प्रहृष्टकमलोदरदीप्तिरिष्टां
पुष्टिं कृशीष्ट मम पुष्करविष्टारायाः।।
गीर्देवतैति गरुड़ध्वजभामिनीति
शाकम्भरीति शशिशेखरवल्लभेति।
सृष्टिस्थितिप्रलयकेलिषु संस्थितायै
तस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै।।
श्रुत्यै नमोऽस्तु शुभकर्मफलप्रसूत्यै
रत्यै नमोऽस्तु रमणीयगुणार्णवायै।
शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्रनिकेतनायै
पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तमवल्लभायै।।
नमोऽस्तु नालिकनिभाननायै
नमोऽस्तु दुग्धौदधिजन्मभूत्यै।
नमोऽस्तु सोमामृतसोदरायै
नमोऽस्तु नारायणवल्लभायै।।
सम्पत्कराणि सकलेन्द्रियनन्दानि
साम्राज्यदानविभवानि सरोरुहाक्षि।
त्वद्वन्दनानि दुरिताहरणाद्यतानि
मामेव मातर्निशं कलयन्तु नान्यम्।।
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरम्बुजविन्ध्यभाजो
भूमिर्भवन्ति पुरुषा वरभाग्यभाजः।
ते भाग्यवन्त इह लोके परत्र चैव
भव्यानि भद्राणि निधाय लक्ष्मीम्।।
इति श्री कनकधारा स्तोत्रम् सम्पूर्णम्
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 27 April 2025 at 11:16 IST