अपडेटेड 17 September 2025 at 00:13 IST
PM Modi 75th Birthday: गुजरात के छोटे से गांव से निकल कर दुनिया में नरेंद्र मोदी कैसे बन गए 'Modi is the Boss'?
PM Modi 75th Birthday: पीएम मोदी की विदेश नीति की पहलों ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता और भूमिका को साकार किया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत सार्क देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में की और दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में बिम्सटेक नेताओं को आमंत्रित किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनके संबोधन की दुनिया भर में सराहना हुई।
- प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी
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PM Modi 75th Birthday: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज केवल देश ही नहीं बल्कि दुनिया में सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में से एक हैं। 17 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री मोदी का 75वां जन्मदिन है। इस खास अवसर पर हम यहां आपको पीएम मोदी के उस सफर के बारे में कुछ खास जानकारी दे रहे हैं, जो वाकई में किसी महापुरुष की जीवन यात्रा से कम नहीं है।
दुनिया में पीएम मोदी की लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि वे भारत के एक ऐसे इकलौते प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें दुनिया के करीब 26 देशों ने अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया है। इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीस ने तो पीएम मोदी को बॉस तक कहा था। आइए अब हम प्रधानमंत्री मोदी के इस शून्य से शिखर तक की कहानी को जानते हैं। आइए हम जानते हैं कि गुजरात के छोटे से गांव से निकल कर दुनिया में नरेंद्र मोदी कैसे बन गए 'Modi is the Boss'?
17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में हुआ पीएम मोदी का जन्म
पीएम मोदी के इस सफर की शुरुआत उनकी बचपन से करते हैं। नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद तक की प्रेरणादायक जीवन यात्रा उत्तरी गुजरात के मेहसाणा जिले के एक छोटे से कस्बे वडनगर की गलियों से शुरू हुई थी। उनका जन्म गुजरात के वडनगर में भारत की आजादी के तीन साल बाद 17 सितंबर 1950 को हुआ था। इस तरह वे स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। पीएम मोदी दामोदरदास मोदी और हीराबा मोदी की तीसरी संतान हैं। वे एक साधारण परिवार से आते हैं जिसका मूल और साधन साधारण हैं। पूरा परिवार लगभग 40 फीट गुणा 12 फीट के एक छोटे से एक मंजिला घर में रहता था।
नरेंद्र मोदी के बचपन ने उन्हें शुरुआती कठिन सबक सिखाए, क्योंकि उन्होंने अपनी पढ़ाई और गैर-शैक्षणिक जीवन के बीच संतुलन बनाए रखा और परिवार की चाय की दुकान पर काम करने के लिए समय निकाला, क्योंकि परिवार गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहा था। उनके स्कूल के दोस्तों को याद है कि बचपन में भी वे बहुत मेहनती थे और उन्हें वाद-विवाद में रुचि थी और किताबें पढ़ने का शौक था। उनके सहपाठी याद करते हैं कि कैसे मोदी स्थानीय पुस्तकालय में घंटों पढ़ाई करते थे। बचपन में उन्हें तैराकी का भी शौक था। मोदी ने गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम.ए. किया।
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पीएम मोदी ने 17 साल की उम्र में पूरे भारत की यात्रा के लिए छोड़ा था घर
www.pmindia.gov.in/en/personal_life_story/personal-life-story/ की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 17 साल की उम्र में नरेंद्र मोदी ने पूरे भारत की यात्रा के लिए घर छोड़ दिया था। दो साल तक उन्होंने भारत के विशाल भूभाग की यात्रा की और विभिन्न संस्कृतियों का रिसर्च किया। घर लौटने पर, वह एक बदले हुए व्यक्ति थे और उनके पास जीवन में क्या हासिल करना है, इसका एक स्पष्ट लक्ष्य था। वे अहमदाबाद गए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में शामिल हो गए। आरएसएस एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है जो भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की दिशा में कार्यरत है। 1972 में आरएसएस के प्रचारक बनने के बाद से अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी की दिनचर्या काफी कठिन रही। उनका दिन सुबह 5 बजे शुरू होता था और देर रात तक चलता था। 1970 के दशक के उत्तरार्ध में, युवा नरेंद्र मोदी आपातकाल से जूझ रहे भारत में लोकतंत्र की बहाली के आंदोलन में शामिल हुए।
1987 में बने गुजरात भाजपा के महासचिव
1980 के दशक में संघ के भीतर विभिन्न जिम्मेदारियों को निभाते हुए, नरेंद्र मोदी अपने संगठन कौशल के बल पर एक आदर्श संगठनकर्ता के रूप में उभरे। 1987 में मोदी के जीवन में एक नया अध्याय शुरू हुआ जब उन्होंने गुजरात भाजपा के महासचिव के रूप में कार्य करना शुरू किया। अपने पहले ही कार्यकाल में मोदी ने अहमदाबाद नगर निगम चुनावों में भाजपा को पहली बार जीत दिलाई। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि 1990 के गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा कांग्रेस के बाद दूसरे स्थान पर रहे। 1995 के विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के संगठनात्मक कौशल ने भाजपा के वोट प्रतिशत में वृद्धि सुनिश्चित की और पार्टी ने विधानसभा में 121 सीटें जीतीं।
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सितंबर 2001 में नरेंद्र मोदी को आया पीएम वाजपेयी का कॉल
मोदी 1995 से भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के रूप में कार्यरत रहे और हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में पार्टी की गतिविधियों का कार्यभार संभाला। भाजपा के संगठन महासचिव के रूप में, उन्होंने 1998 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम किया। सितंबर 2001 में, नरेंद्र मोदी को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का फोन आया जिसने उनके जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया और उन्हें संगठनात्मक राजनीति के उतार-चढ़ाव से निकालकर शासन की दुनिया में ले गया। साल 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने। वे 2001 से देश के प्रधानमंत्री बनने तक यानी मई 2014 से पहले तक गुजरात से मुख्यमंत्री रहे। वे 2002 से 2014 तक गुजरात में Gujarat Legislative Assembly के सदस्य बने।
नरेंद्र मोदी का जीवन साहस, करुणा और निरंतर परिश्रम की यात्रा रहा है। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपना जीवन जनसेवा में समर्पित करने का निर्णय ले लिया था। उन्होंने अपने गृह राज्य गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने 13 वर्षों के कार्यकाल के दौरान एक जमीनी कार्यकर्ता, एक संगठनकर्ता और एक प्रशासक के रूप में अपनी कुशलता का परिचय दिया, जहां उन्होंने जनहितैषी और सक्रिय सुशासन की दिशा में एक आदर्श बदलाव की शुरुआत की।
लगातार तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले नरेंद्र मोदी
26 मई 2014 की शाम को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में इतिहास रचा गया जब नरेंद्र मोदी ने भारत की जनता से मिले ऐतिहासिक जनादेश के बाद भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। नरेंद्र मोदी में, भारत के लोग एक गतिशील, निर्णायक और विकासोन्मुख नेता देखते हैं जो एक अरब भारतीयों के सपनों और आकांक्षाओं के लिए आशा की किरण बनकर उभरे हैं। विकास पर उनका ध्यान, बारीकियों पर उनकी नजर और सबसे गरीब लोगों के जीवन में गुणात्मक बदलाव लाने के उनके प्रयासों ने नरेंद्र मोदी को पूरे भारत में एक लोकप्रिय और सम्मानित नेता बना दिया है।
पीएम मोदी के कार्य ने उन्हें दूसरी बार भी देश की सत्ता की बागडोर सौंपी। 30 मई 2019 को नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने। वहीं, 2024 के संसदीय चुनावों में एक और निर्णायक जीत के बाद, नरेंद्र मोदी ने 9 जून 2024 को तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। इस जीत ने पीएम मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल को चिह्नित किया, जिससे उनके नेतृत्व को और बल मिला।
पीएम मोदी की विदेश नीति
पीएम मोदी की विदेश नीति की पहलों ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता और भूमिका को साकार किया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत सार्क देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में की और दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में बिम्सटेक नेताओं को आमंत्रित किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनके संबोधन की दुनिया भर में सराहना हुई। पीएम मोदी 17 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद नेपाल, 28 वर्षों के बाद ऑस्ट्रेलिया, 31 वर्षों के बाद फिजी और 34 वर्षों के बाद संयुक्त अरब अमीरात और सेशेल्स की द्विपक्षीय यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने।
पदभार ग्रहण करने के बाद से, मोदी ने संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, सार्क और जी-20 शिखर सम्मेलनों में भाग लिया, जहां विभिन्न वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर भारत के हस्तक्षेप और विचारों की व्यापक रूप से सराहना हुई। पीएम मोदी की अध्यक्षता में भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन का शानदार आयोजन भी किया, जिसको पूरी दुनिया ने सराहा। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किसी दिन को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' के रूप में मनाने के आह्वान को संयुक्त राष्ट्र में जबरदस्त समर्थन मिला। पहली बार, दुनिया भर के कुल 177 देशों ने एक साथ मिलकर 21 जून को 'संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया।
'Modi is the Boss'
हाल ही में चीन में हुए SCO समिट में भारत और पीएम मोदी का दबदबा पूरी दुनिया ने देखा। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएम मोदी के लिए अपनी फेवरेट कार दे दी थी। वहीं, रूसी प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को अपनी कार में बिठाकर करीब 45 मिनट से अधिक समय तक सिर्फ बात ही नहीं की बल्कि चीन में द्विपक्षीय वार्ता के लिए एक साथ वार्ता स्थल भी पहुंचे। इसकी कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिसे दुनिया के महाशक्तियों को एक फ्रेम में कहा गया।
पीएम मोदी से जुड़ी कई कहानियां हैं, जिन्हें यहां एक लेख में समेटना काफी मुश्किल है। अब हम अंत में उस ऐतिहासिक पल की भी बात करते हैं, जब ऑस्ट्रेलिया में वहां के पीएम ने प्रधानमंत्री मोदी को 'Modi is the Boss' कहा था। मई 2023 की बात है, जब पीएम मोदी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए थे। तब सिडनी में सामुदायिक कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीस ने कहा था, "आखिरी बार मैंने इस मंच पर ब्रूस स्प्रिंगस्टीन को देखा था मगर उन्हें ऐसा स्वागत नहीं मिला जो प्रधानमंत्री मोदी को मिला है। प्रधानमंत्री मोदी बॉस हैं।" एंथोनी अल्बानीस ने कहा था - Prime Minister Modi is the Boss.
Published By : Amit Dubey
पब्लिश्ड 17 September 2025 at 00:13 IST