अपडेटेड 7 November 2025 at 12:28 IST

'ये दिन बहुत ऐतिहासिक', ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने पर बोले PM मोदी, स्मरणोत्सव का किया उद्घाटन; डाक टिकट- सिक्का भी हुआ जारी

150 Years of Vande Mataram: राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर विशेष कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया। पीएम ने इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया।

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PM Modi | Image: X

150 Years of Vande Mataram: राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के आज शुक्रवार को 150 साल पूरे हो गए हैं। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में वर्ष भर चलने वाले स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया। साथ ही साथ उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ के मौक पर एक पोर्टल भी लॉन्च किया।

ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसे हम पा न सकें- PM मोदी

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "वंदे मातरम ये शब्द... एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक स्वप्न है और एक संकल्प है। यह मां भारती की साधना, अराधना है। यह हमें इतिहास में ले जाता है। यह हमारे वर्तमान को आत्मविश्वास से भर देता है। यह हमारे भविष्य को नया हौसला देता है कि ऐसा कोई संकल्प नहीं जिसकी सिद्धि न हो सके, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसे हम भारतयवासी पा न सकें।" उन्होंने कहा कि वंदे मातरम के सामूहिक गायन का अद्भुत अनुभव वाकई अभिव्यक्ति से परे हैं।

उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का सामूहिक गायन एक अवर्णनीय अनुभव है। इतने सारे स्वरों में- एक लय, एक स्वर, एक भाव, एक ही रोमांच और प्रवाह- ऐसा तारतम्य, ऐसी तरंग... इस ऊर्जा ने हृदय को स्पंदित कर दिया है।

'आजादी का उद्घोष बना वंदे मातरम'

7 नवंबर 2025 का दिन बहुत ऐतिहासिक है। आज हम ‘वंदे मातरम’ के 150वें वर्ष का महाउत्सव मना रहे हैं। यह पुण्य अवसर हमें नई प्रेरणा देगा, कोटि कोटि देशवासियों को नई ऊर्जा से भर देगा। इस दिन को इतिहास की तारीख में अंकित करने के लिए आज ‘वंदे मातरम’ पर एक विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किए गए हैं। मैं देश के लाखों महापुरुषों को, मां भारती की संतानों को, ‘वंदे मातरम’ के लिए जीवन खपाने के लिए आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं और देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूं।

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उन्होंने कहा कि गुलामी के उस कालखंड में 'वंदे मातरम्' इस संकल्प का उद्घोष बन गया था कि भारत की आजादी का, मां भारती के हाथों से गुलामी की बेड़ियां टूटेंगी! उसकी संतानें स्वयं अपने भाग्य की विधाता बनेंगी!

पीएम मोदी ने कहा कि 1875 में, जब बंकिम बाबू ने ‘बंग दर्शन’ में ‘वंदे मातरम’ प्रकाशित किया था, तब कुछ लोगों को लगा था कि यह तो बस एक गीत है। लेकिन देखते ही देखते ‘वंदे मातरम’ भारत के स्वतंत्रता संग्राम का स्वर बन गया। एक ऐसा स्वर, जो हर क्रांतिकारी की जुबान पर था, एक ऐसा स्वर, जो हर भारतीय की भावनाओं को व्यक्त कर रहा था! वंदे मातरम आजादी के परवानों का तराना होने के साथ ही इस बात की भी प्रेरणा देता है कि हमें इस आजादी की रक्षा कैसे करनी है।

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‘वंदे मातरम’ को तोड़ दिया गया था’

उन्होंने कहा कि जब वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानी एक-दूसरे से मिलते थे, तो उनका अभिवादन हमेशा वंदे मातरम होता था। कई क्रांतिकारियों ने फांसी पर खड़े होकर भी वंदे मातरम कहा। 1937 में ‘वंदे मातरम’ के महत्वपूर्ण पदों, उसकी आत्मा के एक हिस्से को अलग कर दिया गया था। ‘वंदे मातरम’ को तोड़ दिया गया था। इस विभाजन ने देश के विभाजन के भी बीज बो दिए थे। राष्ट्र-निर्माण के इस महामंत्र के साथ यह अन्याय क्यों हुआ, यह आज की पीढ़ी को जानना जरूरी है। क्योंकि वही विभाजनकारी सोच आज भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 7 November 2025 at 12:28 IST