अपडेटेड 11 January 2025 at 19:23 IST
सिंदूर, चूड़ियां, पायल-बिछिया और...शादी की पहली रात को क्यों कहते हैं सुहागरात? बेहद दिलचस्प है पूरी कहानी
सुहागरात एक ऐसा शब्द जिसे सुनकर शायद कुछ लोग असहस हो जाएं लेकिन ये उन लम्हों में से एक है जो दूल्हा-दुल्हन के उन खास पलों में से एक है जिसे वो कभी नहीं भूलते।
- लाइफस्टाइल न्यूज़
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First Night Suhagrat: दूल्हा-दुल्हन की प्यारी तस्वीरें और वीडियो हर दिल को छू जाती है, शादी का यह जादुई सीजन हर किसी के चेहरे पर मुस्कान ला रहा है। चारों और शादियों की धूम मची हुई है। 'शादी' शब्द सुनकर लोग खुश हो जाते हैं वहीं, शादी की एक खास रस्म 'सुहागरात' एक ऐसा शब्द जिसे सुनकर शायद कुछ लोग असहस हो जाएं लेकिन ये उन लम्हों में से एक होता है जो दूल्हा-दुल्हन के उन खास पलों में से एक होता है जिसे वो कभी नहीं भूलते। क्योंकि शादी जो सिर्फ एक सामाजिक परंपरा नहीं, बल्कि दो दिलों का खूबसूरत मिलन है, यह रिश्ता पवित्र माना जाता है, शादी की हर रस्म, चाहे वो जयमाल हो, सात फेरे या सिंदूरदान, अपने भीतर भावनाओं का सागर समेटे रहती है। इन रस्मों के बीच, एक और रस्म होती है जो शादी की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है वो है 'सुहागरात' अब हो सकता है कुछ लोग इस शब्द से असहज हो जाएं लेकिन एक पवित्र रिश्ते को बांधने वाली रस्म 'सुहागरात' का अपना एक खास महत्व है। आइए जानते हैं सुहागरात का असली मकसद क्या होता है और इसके क्या मायने रखते हैं ? और क्यों ये रस्म सबसे खास मानी जाती है।
पहली रात का प्यार भरा जादू...
शादी के बाद की पहली रात यानी सुहागरात का नाम सुनते ही एक हल्की मुस्कान भी चेहरे पर आ जाती है। यह वह खास समय होता है जब दो अजनबी दिल एक नई शुरुआत की ओर बढ़ते हैं। सुहागरात न सिर्फ नवविवाहित जोड़े के लिए एक अहम पल है, बल्कि यह उनकी जिंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हों में से एक बन जाती है। नए शादी के जोड़े में लिपटी दुल्हन जब अपने पति के सामने पहली बार जाती है तो वो लम्हा ही कुछ अलग होता है।
इस रात का प्यार भरा महत्व
यह रात पति-पत्नी के बीच के रिश्ते की नींव को मजबूत करती है। यह उनके रिश्ते की पहली कड़ी होती है, जहां दोनों एक-दूसरे को समझने और अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए साथ बैठते हैं, यह रात सिर्फ रोमांस का नहीं, बल्कि प्यार, भरोसे और एक नए सफर की शुरुआत का प्रतीक है।
हल्दी-केसर वाला दूध- क्यों है खास?
शादी की पहली रात को हल्दी और केसर वाला दूध देना भी एक पुरानी परंपरा है। यह सिर्फ रस्म नहीं, बल्कि इस दूध के पीछे स्वास्थ्य और परंपरा का भी संदेश छिपा है। यह दूध ऊर्जा और उत्साह को बढ़ाने का प्रतीक है, जो इस खास रात को और भी यादगार बना देता है। शादी और सुहागरात सिर्फ परंपराएं नहीं, यह एक नया अध्याय है। अगर आपकी भी जल्द ही शादी होने जा रही है तो इस पल को खुलकर जीएं, एक-दूसरे को समझें और अपने रिश्ते को हर दिन और भी खास बनाएं।
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सुहागरात क्यों कहते हैं?
यह शब्द संस्कृत के 'सौभाग्य' शब्द से निकला है। 'सौभाग्य' का मतलब है जीवन में सुख और खुशहाली। शादी के बाद महिला को सुहागन कहा जाता है, जो सौभाग्य का प्रतीक है। सिंदूर, मंगलसूत्र, चूड़ियां और बिछिया जैसी चीजें महिला के सुहागन होने का प्रतीक बनती हैं। यही वजह है कि शादी की पहली रात को 'सुहागरात' कहा जाता है। शादी सिर्फ दो इंसानों का नहीं, बल्कि दो आत्माओं का मिलन है। इस खास रात को प्यार, सम्मान और विश्वास के साथ सजाएं। यह शुरुआत एक ऐसी कहानी का पहला पन्ना है, जो जीवन भर यादों में बसती है।
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Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 11 January 2025 at 18:39 IST