अपडेटेड 7 October 2023 at 08:14 IST

उत्तराखंड के कॉलेजों द्वारा 7 अक्टूबर को मनाया जाता है'गढ़ भोज दिवस'

उत्तराखंड के कॉलेज हर साल सात अक्टूबर को 'गढ़ भोज दिवस' मनाएंगे। इस पहल का उद्देश्य पौष्टिकता और औषधीय गुणों से भरपूर उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन को लोकप्रिय बनाना है।

Uttarakhand Food, PC : Shutterstock
Uttarakhand Food, PC : Shutterstock | Image: self

Garh Bhoj Diwas: उत्तराखंड के विश्वविद्यालय और कॉलेज हर साल सात अक्टूबर को 'गढ़ भोज दिवस' मनाएंगे। इस पहल का उद्देश्य पौष्टिकता और औषधीय गुणों से भरपूर उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन और फसलों को लोकप्रिय बनाना है।

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  • उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन
  • क्यों मनाया जाता है गढ़ भोज दिवस?

गढ़ भोज आंदोलन के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने शुक्रवार को बताया कि राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत के इस संबंध में आदेश देने के बाद प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कॉलेज के प्राचार्यों से सात अक्टूबर को गढ़ भोज दिवस के रूप में मनाने को कहा गया है।

उन्होंने बताया कि इस अवसर पर शनिवार को विश्वविद्यालय और कॉलेज निबंध लेखन प्रतियोगिताएं, सेमिनार और कांफ्रेस आयोजित किये जाएंगे जिनमें उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजनों और फसलों के औषधीय गुणों पर जोर दिया जाएगा।

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सेमवाल ने कहा, ‘‘इससे ‘जंक फूड’ के साथ बड़ी हो रही हमारी युवा पीढ़ी अपने पारंपरिक खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता और उनके समृद्ध स्वाद से परिचित होगी।’’

उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक एस एस उनियाल द्वारा विश्वविद्यालयों और कॉलेज को पत्र भेजकर परिसर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की तस्वीर और वीडियो भी भेजने को कहा गया है, ताकि गढ़ भोज दिवस मनाए जाने के आदेश के अनुपालन की पुष्टि हो सके।

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सेमवाल ने वर्ष 2000 में राज्य गठन के तुरंत बाद गढ़ भोज आंदोलन की शुरूआत की थी। पृथक राज्य आंदोलन के दौरान उत्तराखंड के पहाड़ों में अक्सर सुनाई देने वाले नारे 'कोदा—झंगोरा खाएंगे—उत्तराखंड बनाएंगे' ने सेमवाल को इस आंदोलन की शुरूआत की प्रेरणा दी।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पारंपरिक खाद्य पदार्थ न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि पौष्टिक भी हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 के दौरान इन खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ने के पीछे एक यह कारण भी था।’’

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सेमवाल ने कहा, ‘‘मंडुआ और झंगोरा मधुमेह के लिए औषधि है जबकि गहथ और कुलथ का सूप गुर्दें की पथरी और चौलाई मुजली प्रथम चरण के कैंसर के लिए अच्छा होता है।’’

Published By : Press Trust of India (भाषा)

पब्लिश्ड 7 October 2023 at 08:14 IST