अपडेटेड 27 October 2024 at 11:55 IST
जानें किस पौधे से निकलते हैं मखाने? गोबर लेप का भी होता है इस्तेमाल
makhana made from which plant: मखाने का उत्पादन कैसे होता है? मखाने का पेड़ कौन सा होता है? मखाना किस चीज से बनता है? जानते हैं इस लेख के माध्यम से...
- लाइफस्टाइल न्यूज़
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Makhana kaise banta hai: अक्सर आपने देखा होगा डॉक्टर खून बढ़ाने के लिए मखाने खाने की सलाह देते हैं। बता दें कि मखाने के अंदर कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो सेहत (Makhana Benefits) के लिए उपयोगी हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि मखाने को कैसे बनाया जाता है। बता दें की मखाने बनाना उतना ही मुश्किल है जितना समुद्र से मोती निकलना। ऐसे में इसके बारे में पता होना जरूरी है।
आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मखाने कैसे तैयार किए जाते हैं। पढ़ते हैं आगे...
मखाना किस चीज से बनता है? (How are lotus seeds formed?)
मखाने को एक फूल से निकाला जाता है, जो कमल के पौधे का हिस्सा होता है। चूंकि यह फूल लक्ष्मी जी को समर्पित किया जाता है। ऐसे में इसी फूलों से मखाना हमें मिलता है और मखाने को व्रत के दौरान खाया जाता है। यह बिहार के अलावा जापान, रशिया के कुछ हिस्से और कोरिया आदि में मिलता है।
अब सबसे पहले यह जानते हैं कि इसे निकालने में कितनी मेहनत (How is makhana made from lotus?) लगती है। बता दें कि इसके लिए किसानों को पानी के अंदर गोता लगाना होता है और पानी में केवल वही लोग जा सकते हैं जिन्हें इसका अनुभव हो। यह काम सुबह 10:00 बजे से शुरू होकर 3:00 बजे तक चलता है यानी 4 से 5 घंटे गोता लगता रहता है। इसके बीजों को निकालने के लिए बांस की जरूरत पड़ती है। हालांकि अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से बीज निकाले जाते हैं। जब बीज इकट्ठे हो जाते हैं तो उनकी सफाई की जाती है और उन्हें स्टोर किया जाता है।
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ऐसे में बड़े भगौनों का उपयोग करते हैं, जिसमें बीजों को लगातार हिलाते हैं। ऐसा करने से मखाने के ऊपर लगी गंदगी दूर होती है। हालांकि इन्हें साफ करने में पानी से भी बार-बार धोया जाता है। जब पूरी गंदगी साफ हो जाती है तो इन्हें छोटे बैग्स में भर दिए जाते हैं और एक सिलेंड्रिकल कंटेनर में रख देते हैं। उसके बाद इन्हें जमीन पर ही काफी देर तक रोल किया जाता है, जिससे कि बीजों को स्मूथ किया जा सके। इसके बाद अगले दिन इन बीजों को तैयार किया जाता है।
उसके लिए इन्हें चटाई पर दो से तीन घंटे तक फैलाते हैं, जिससे कि पानी को पूरी तरीके से सुखाया जा सके। अब बीजों को 10 बड़ी लोहे की छलनियों में छाना जाता है और इस दौरान अलग-अलग साइज के बीच अलग हो जाते हैं और उन्हें अलग-अलग स्टोर करते हैं।
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उसके बाद फ्राई किया जाता है। इन्हें जल्दी फ्राई करते हैं वरना यह खराब हो जाते हैं। इसके बाद इन्हें बांस के कंटेनर में स्टोर करते हैं। स्टोर करने के लिए एक खास कपड़े से ढका जाता है। उस कंटेनर के बाहर गोबर का लेप लगाया जाता है, जिससे तापमान को सामान्य किया जा सके। उसके बाद फिर से फ्राई करके यही प्रक्रिया दोहराई जाती है।
जब बीज फट जाता है तो मखाना निकलता है और इसे एक लकड़ी के तक्ते पर बिछाया जाता है। जब ये सफेद पफ निकल आते हैं तो इन्हें हाथ से साफ किया जाता है ताकि बीज का कोई भी हिस्सा मखाने में ना रह जाए। इस तरह ये मार्केट में आता है।
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 27 October 2024 at 09:25 IST