अपडेटेड 24 March 2023 at 15:42 IST
24 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है World Tuberculosis Day? जानें इस साल की विश्व टीबी दिवस की थीम
World TB Day 2023: 24 मार्च, 1882 को जर्मन चिकित्सक और सूक्ष्म जीवविज्ञानी रॉबर्ट कोच ने आज ही के दिन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की थी।
- लाइफस्टाइल न्यूज़
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World TB Day 2023: 24 मार्च, 1882 को जर्मन चिकित्सक और सूक्ष्म जीवविज्ञानी रॉबर्ट कोच ने आज ही के दिन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की थी। उन्हीं की वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन 24 मार्च को 'विश्व क्षय रोग दिवस' मनाता है। इस अवसर पर दुनिया भर में जन जागरूकता पैदा करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस साल के टीबी दिवस का विषय 'हां! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं'।
ट्यूबरकुलोसिस एक भयानक बीमारी है जिससे हर साल लाखों लोगों की मौत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में टीबी से 1.5 मिलियन लोगों की मौत हुई। यह रोग संक्रामक है, यानी रेस्पिरेटरी ट्यूबरकुलोसिस के वायरस शरीर में फैल जाते हैं। प्राथमिक अवस्था में होने पर रोग का इलाज करना आवश्यक है। कहा जाता है कि समय पर इलाज से बिमारी ठीक हो जाती है, लेकिन बहुत से लोग आश्चर्य करते हैं कि क्या टीबी पूरी तरह से ठीक हो सकता है। इसी के बारे में आज हम आपको जानकारी देंगे।
क्या TB पूरी तरह से ठीक हो सकता है?
आज के समय में बहुत से लोग TB रोग से पीड़ित हैं। इस बीमारी से पीड़ित मरीज सोचता रहता है कि 'क्या हम पूरी तरह ठीक हो जाएंगे?' इस पर टिप्पणी करते हुए डॉ. जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का मानना है कि, ''कई तरह की संक्रामक बीमारियां होती हैं. हालांकि TB उनमें से सबसे गंभीर है, लेकिन उचित उपचार से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। अगर इस समय बीमार व्यक्ति की देखभाल की जाए और उसका सही तरीके से इलाज किया जाए तो वह बेहतर हो सकता है।”
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उन्होंने कहा, "Tuberculosis संक्रामक के कारण होता है। इसलिए साफ-सफाई रखकर ही इससे खुद को बचाया जा सकता है। इस बीमारी को फैलाने वाला वायरस हवा के जरिए फैलता है। ऐसे समय में मास्क पहनना फायदेमंद हो सकता है। हालांकि सर्दी, खांसी तपेदिक के लक्षण हैं, लेकिन अगर कोई इनसे बीमार हो जाता है, तो उसे Tuberculosis नहीं कहा जा सकता है, लेकिन अगर सर्दी-खांसी दो-तीन हफ्ते से ज्यादा बनी रहे तो डॉक्टर के पास जाना और जांच कराना जरूरी है।
पर्यावरण में परिवर्तन और तपेदिक से पीड़ित रोगी के आस-पास रहने से रोग बढ़ जाता है। यदि कोई व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित है, तो उसे Tuberculosis होने का खतरा है। मधुमेह भी इस रोग का कारण बन सकता है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में क्षय रोग होने का खतरा हो सकता है। ऐसे समय में मास्क और सेनेटाइजर का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
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Published By : Priya Gandhi
पब्लिश्ड 24 March 2023 at 15:41 IST