Published 12:54 IST, October 9th 2024
भ्रूण से लेकर 2 वर्ष तक के शिशु पर अध्ययन, सेहत पर उच्च तापमान का प्रभाव
पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया में गर्भधारण के 600 से अधिक मामलों के विश्लेषण से पता चला है कि उच्च तापमान के संपर्क में आने से गर्भ में पल रहे भ्रूण और दो वर्ष तक के शिशुओं के विकास पर असर पड़ सकता है।
पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया में गर्भधारण के 600 से अधिक मामलों के विश्लेषण से पता चला है कि उच्च तापमान के संपर्क में आने से गर्भ में पल रहे भ्रूण और दो वर्ष तक के शिशुओं के विकास पर असर पड़ सकता है। ‘द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ’ जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों के अनुसार, गर्भावस्था की पहली तिमाही में औसत दैनिक तापमान में प्रत्येक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के कारण, गर्भकाल की अवधि के अनुरूप जन्म के समय बच्चे का वजन कम पाया गया। व्यक्ति को तापीय तनाव का अनुभव तब होता है जब उसके शरीर की तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है।
ब्रिटेन के ‘लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन’ (एलएसएचटीएम) के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने कुल 668 शिशुओं पर उनके जीवन के पहले 1,000 दिनों तक नजर रखी, जिनमें से लगभग आधी लड़कियां और आधे लड़के थे। जन्म के समय 66 शिशुओं (10 प्रतिशत) का वजन 2.5 किलोग्राम से कम पाया गया, जिसे शोधकर्ताओं ने जन्म के वक्त कम वजन के रूप में वर्णित किया। अध्ययन किए गए शिशुओं में से लगभग एक तिहाई (218) गर्भकाल के हिसाब से छोटे पाए गए, जबकि नौ शिशुओं का जन्म समय से पहले हुआ।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि भ्रूण द्वारा अनुभव किया गया तापीय तनाव जन्म के बाद भी उन्हें प्रभावित कर सकता है - उच्च ताप के संपर्क में आने वाले दो वर्ष तक के शिशुओं का वजन और लंबाई उनकी उम्र के हिसाब से कम होती है। अध्ययन में पाया गया कि 6-18 महीने की आयु के वे शिशु, जिन्होंने पिछले तीन महीने की अवधि में दैनिक तापीय तनाव के उच्च स्तर का अनुभव किया था, सबसे अधिक प्रभावित पाए गए।
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जो दर्शाता है कि गर्मी के कारण तनाव जन्म के बाद शिशुओं के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन तीव्र होता जा रहा है, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी प्रयासों में गर्मी के प्रभावों पर तत्काल विचार किया जाना चाहिए।
‘मेडिकल रिसर्च काउंसिल यूनिट द गाम्बिया’, एलएसएचटीएम में सहायक प्रोफेसर और शोध की प्रमुख लेखिक एना बोनेल ने कहा, “हमारा अध्ययन दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण के अंतर्संबंधित संकट सबसे कमजोर लोगों को असमान रूप से प्रभावित कर रहे हैं, जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं।”
विश्लेषण के लिए आंकड़े जनवरी 2010 और फरवरी 2015 के बीच गाम्बिया के वेस्ट किआंग में आयोजित एक परीक्षण के भाग के रूप में एकत्र किया गया था। बोनेल ने कहा, “ये निष्कर्ष पिछले साक्ष्य पर आधारित हैं जो दर्शाते हैं कि पहली तिमाही गर्मी के संपर्क में आने के नजरिये से बेहद संवेदनशील समय है और यह महत्वपूर्ण है कि अब हम इस बात पर विचार करें कि कौन से कारक इसमें योगदान दे सकते हैं।”
शोधकर्ताओं ने कहा कि गाम्बिया से अन्यत्र क्षेत्रों में गर्मी के कारण तनाव और उसके स्वास्थ्य प्रभावों को देखने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
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Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
Updated 12:54 IST, October 9th 2024