अपडेटेड 4 March 2024 at 12:12 IST
पीरियड्स के दौरान होती है कम ब्लीडिंग? हो सकते हैं इस प्रॉब्लम का शिकार; ये उपाय देंगे राहत
Hypomenorrhea: पीरियड्स के दौरान होने वाली कम ब्लीडिंग एक गंभीर समस्या का कारण बनी सकती है।
- लाइफस्टाइल न्यूज़
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Hypomenorrhea: मासिक धर्म (Menstruation) यानी पीरियड्स (Periods), जिसका सामना महिलाओं को हर महीने करना पड़ता है। इस दौरान उन्हें असहनीय दर्द, मूड स्विंग्स (Mood Swings), क्रैम्प जैसी कई तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। हालांकि कुछ लोग पीडियड्स में होने वाली हैवी ब्लीडिंग (Heavy Bleeding) से परेशान होते हैं तो कुछ लोगों को कम ब्लीडिंग (Less Bleeding) की शिकायत होती है।
जिस तरह से पीरियड्स में होने वाली हैवी ब्लीडिंग चिंता का विषय है उसी तरह से कम ब्लीडिंग होना भी एक समस्या का कारण हो सकता है। जी हां, दरअसल, पीरियड्स में होने वाली कम ब्लीडिंग को हाइपोमेनोरिया (Hypomenorrhea) कहा जाता है। ऐसे में आपको इसके कारण और उपचार के बारे में जान लेना चाहिए।
हाइपोमेनोरिया के कारण (Causes of Hypomenorrhea)
स्ट्रेस (Stress)
क्रोनिक स्ट्रेस हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रेनल (HPA) फंक्शन में दिक्कतें पैदा कर सकता है, जिससे हार्मोन का लेवल और पीरियड साइकल पर असर पड़ता है और कम ब्लीडिंग होती है।
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अनबैलेंस हार्मोन (Hormonal Imbalance)
पीरियड्स के दौरान कम ब्लीडिंग होने का एक कारण हार्मोन का अनबैलेंस होना भी हो सकता है। दरअसल, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवल में उतार-चढ़ाव से एंडोमेट्रियल लाइनिंग का सही तरह से डेवलपमेंट नहीं हो पाता, जिस कारण हार्मोन असंतुलित होते हैं और पीरियड्स हल्के हो जाते हैं।
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थायराइड डिसऑर्डर (Thyroid Disorder)
अगर आपको थायराइड डिसऑर्डर है तो आपको पीरियड्स के दौरान कम ब्लीडिंग हो सकती है। जिस कारण आप हाइपोमेनोरिया की समस्या का शिकार हो सकते हैं।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome)
PCOS एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जिसकी वजह से पीरियड्स में अनियमितता आती है या ओवेरियन अल्सर और हार्मोनल असंतुलन की समस्या हो पैदा होती है। इसके साथ ही ब्लीडिंग काफी कम होने लगती है।
हाइपोमेनोरिया के लिए उपचार (Treatment for Hypomenorrhea)
बैलेंस डाइट लें (Diet)
पीरियड्स समेत कई तरह की हेल्थ प्रॉबल्म को कम करने के लिए आपको बैलेंस डाइट लेना शुरू कर देना चाहिए। विटामिन, मिनरल्स से भरपूर डाइट हार्मोनल संतुलन बेहतर बनाने का काम करती है। जिससे हाइपोमेनोरिया की प्रॉब्लम तो दूर होती ही है, साथ ही हेल्थ भी अच्छी रहती है।
न लें स्ट्रेस (Stress)
क्रोनिक स्ट्रेस हार्मोन संतुलन और पीरियड साइकल को बाधित करता है। इसलिए स्ट्रेस बिल्कुल न लें। साथ ही आपको मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ और माइंडफुलनेस जैसी स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीकों को अपनाकर तनाव को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
वजन कंट्रोल (Weight)
वजन का बढ़ना या घटना काफी हद तक हमारी पीरियड साइकिल को प्रभावित करता है। इसलिए अपने वजन को कंट्रोल में रखें। इससे पीरियड प्रॉब्लम को नियमित होने में तो मदद मिलेगी ही साथ ही हाइपोमेनोरिया की प्रॉब्लम भी दूर हो जाएगी।
रेगुलर एक्सरसाइज (Excercise)
शरीर के दुरुस्त रहने के लिए जरूरी है कि आप रोजाना कुछ फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें। दरअसल, फिजिकल एक्टिविटी यानी एक्सरसाइज करने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है। इससे आपके हार्मोंस भी बैलेंस होंगे और हाइपोमेनोरिया की प्रॉब्लम में भी सुधार आएगा।
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 4 March 2024 at 12:08 IST