Published 14:44 IST, August 25th 2024
क्या हैम सैंडविच और रेड मीट खाने से बढ़ जाता है डाइबिटीज टाइप-2 का खतरा? जानिए यहां
कई मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि दिन में ‘हैम सैंडविच’ के मात्र दो टुकड़े खा लेने से मधुमेह टाइप-2 से पीड़ित होने का खतरा बढ़ जाता है।
दोपहर के समय के मुख्य भोजन ‘हैम सैंडविच’ अपनी आलोचना को लेकर मीडिया की सुर्खियों में है। हाल ही में जारी की गई कई मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि दिन में ‘हैम सैंडविच’ के मात्र दो टुकड़े खा लेने से मधुमेह टाइप-2 से पीड़ित होने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इन सुर्खियों के पीछे का विज्ञान क्या है? इस संबंध में किए गए शोध में एक जटिल तस्वीर सामने आई है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि क्या सूअर का मांस (हैम और बेकन) तथा भेड़ या अन्य जानवरों का रेड मीट खाने से मधुमेह टाइप-2 का खतरा बढ़ जाता है?
इससे यह सुर्खियां सामने आईं कि हैम सैंडविच खाने और मधुमेह टाइप-2 से पीड़ित होने के बीच संबंध है। एक प्रेस विज्ञप्ति में हैम का उदाहरण देते हुए यह बताया गया था कि रेड मीट खाने से 10 वर्षों में मधुमेह टाइप-2 होने का खतरा 15 प्रतिशत बढ़ जाता है। शोध में पाया गया कि मधुमेह टाइप-2 का खतरा प्रतिदिन अतिरिक्त 50 ग्राम प्रसंस्कृत मांस खाने से जुड़ा है, जो हैम के दो टुकड़ों के बराबर है। इस प्रकार ऐसा प्रतीत होता है कि मीडिया ने एक उपयोगी उदाहरण को मुख्य कारण के रूप में ले लिया है तथा संभवतः अध्ययन के कुछ प्रमुख संदेशों को नजरअंदाज कर दिया।
40 से अधिक उम्र में बढ़ जाता है खतरा
तो क्या प्रसंस्कृत मांस और लाल मांस खाने से वास्तव में मधुमेह टाइप-2 से पीड़ित होने का खतरा बढ़ सकता है? मधुमेह टाइप-2 होने का खतरा बढ़ने के सबसे प्रमुख कारणों में 40 वर्ष से अधिक उम्र होना, परिवार के सदस्यों को मधुमेह टाइप 2 होना, दक्षिण एशियाई या अफ्रीकी मूल का होना या अधिक वजन होना और खास तौर पर कमर का माप ज्यादा होना यानी मोटापा शामिल है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में इस संबंध में किए गए शोध में कुल 31 अध्ययन किए गए जिसमें 20 लाख लोगों के आंकड़ों का उपयोग किया गया। प्रतिभागियों पर औसतन दस साल तक नजर रखी गई। इस दौरान यह पाया गया कि लगभग 20 में से एक व्यक्ति को मधुमेह टाइप-2 है।
100 ग्राम रेड मीट सेवन से 10 प्रतिशत शुगर टाइप-2 होने की अधिक आशंका
शोध से पता चला है कि प्रतिदिन अतिरिक्त 100 ग्राम रेड मीट खाने से मधुमेह टाइप-2 होने की दस प्रतिशत आशंका रहती है। प्रतिदिन आधी मात्रा में अतिरिक्त प्रसंस्कृत मांस खाने से यह बीमारी होने का खतरा और भी अधिक बढ़ जाता है। यह पहली बार नहीं है कि प्रसंस्कृत मांस और लाल मांस, दोनों को मधुमेह टाइप-2 से जोड़ा गया है। हालांकि, अध्ययन की सबसे अहम बात यह है कि इस बीमारी से जुड़े कई अन्य कारकों को नियंत्रित करने की कोशिश की गई जिनमें धूम्रपान, अधिक वजन, आहार सेवन और व्यायाम शामिल हैं।
इस संबंध की वजह क्या है?
अध्ययन में बताया गया कि मधुमेह टाइप-2 का खतरा संभवत: प्रसंस्कृत मांस खाने से है क्योंकि इसमें नाइट्रेट और नमक की मात्रा होती है। नाइट्रेट और नमक को प्रसंस्कृत मांस के स्वाद को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। प्रसंस्कृत मांस में नाइट्रेट और नमक के सेवन से कोलन कैंसर होने की भी संभावना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी नाइट्रेट और नमक को समूह 1 कार्सिनोजेन्स के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसका अर्थ है कि ये कई प्रकार के कैंसर का कारण बन सकते हैं।
रेड मीट सेवन से इंसुलिन हार्मोन प्रभावित हो सकता है!
रेड मीट को कैंसर से जोड़ने वाली प्रक्रिया इसे मधुमेह टाइप-2 से जोड़ने वाली प्रक्रिया के समान प्रतीत होती है। पाचन के दौरान प्रसंस्कृत मांस 'एन-नाइट्रोसो' रसायन बनाता है जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे सूजन हो सकती है और रक्त शर्करा (ग्लूकोज) को नियंत्रित करने वाले हार्मोन इंसुलिन पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इससे तब इंसुलिन प्रतिरोधकता हो सकती है, जब आपकी मांसपेशियों, वसा और यकृत में कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देती हैं और आपके रक्त से रक्त शर्करा को आसानी से नहीं ले पाती हैं।
जला हुआ रेड मीट खाने से रहता है खतरा
रेड मीट में आयरन की भरपूर मात्रा होती है। शोध से पता चलता है कि जिन लोगों में आयरन की मात्रा अधिक होती है, उनमें मधुमेह टाइप-2 होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि, आयरन की मात्रा कम होने से ये लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी चिंता का विषय भी बनता है। रेड मीट के संबंध में एक अन्य संभावित संबंध यह हो सकता है कि उसे किस तरह पकाया जाता है। पिछले अध्ययनों से पता चला है कि खुली आग पर या अधिक तापमान पर पकाए गए जले हुए मांस से भी मधुमेह टाइप-2 का खतरा बढ़ जाता है। मांस को जलाने से 'हेट्रोसाइक्लिक एरोमैटिक एमीन' जैसे जहरीले रसायन और 'एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट' जैसे हानिकारक यौगिक बनते हैं, जिनका इंसुलिन प्रतिरोध और मधुमेह टाइप-2 होने से संबंध है।
रोजाना 70 ग्राम से अधिक रेड मीट डाइट में न लें
इस अध्ययन से खास तौर पर यह संदेश दिया गया है कि हमें इन मांस के सेवन से परहेज करने की बजाय कम मात्रा में खाना चाहिए। ब्रिटेन सरकार की ओर से पोषण संबंधी सिफारिशों में सलाह दी गई है कि रेड मीट का सेवन प्रतिदिन औसतन 70 ग्राम से अधिक न करें। लेकिन इन दिशा-निर्देशों से यह भी पता चलता है कि लाल मांस के सेवन से अच्छी मात्रा में आयरन मिल सकता है। इसलिए, अगर आप रेड मीट खाना बंद करने का फैसला करते हैं तो आपको आयरन पाने के लिए बीन्स, दालें, हरी सब्जियां और अतिरिक्त विटामिन और खनिज वाले अनाज खाना चाहिए।
डाइबिटीज टाइप 2 से बचने के लिए लंबाई के मुताबिक वजन रखे बरकरार
मधुमेह टाइप-2 के न होने से बचने के लिए सबसे अच्छी सलाह यह है कि लंबाई के अनुरूप मानक वजन बनाए रखें। यदि आपका वजन अधिक है तो वजन कम करने पर विचार करें और जितना संभव हो सके शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। एक स्वस्थ आहार में भरपूर मात्रा में सब्जियां, फल, बीन्स, मटर, दाल, मेवे और बीज के साथ ही कुछ साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थ, दूध से बने कुछ उत्पाद, मछली और सफेद मांस (या शाकाहारी विकल्प) शामिल होने चाहिए। इसके अलावा आहार में मध्यम मात्रा में लाल मांस और कम से कम प्रसंस्कृत मांस शामिल होना चाहिए। इससे मधुमेह टाइप-2, हृदय रोग और कैंसर होने के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी। आपकी पूरी जीवनशैली और आहार ही आपके स्वास्थ्य और मधुमेह टाइप-2 होने के जोखिम के लिहाज से सबसे ज्यादा मायने रखता है।
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
Updated 14:44 IST, August 25th 2024