अपडेटेड 30 June 2025 at 13:37 IST
परंपरागत ज्ञान और आयुर्वेद शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय ने प्रमुख भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ किए समझौते
आयुर्वेद और पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय ने तीन प्रमुख भारतीय विश्वविद्यालयों से किए समझौते छिंदवाड़ा/छत्तीसगढ़/चित्रकूट, जून 2025: भारतीय पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक शिक्षा प्रणाली के समन्वय के उद्देश्य से, पतंजलि विश्वविद्यालय और पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने देश के तीन प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इनिशिएटिव
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आयुर्वेद और पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय ने तीन प्रमुख भारतीय विश्वविद्यालयों से किए समझौते छिंदवाड़ा/छत्तीसगढ़/चित्रकूट, जून 2025: भारतीय पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक शिक्षा प्रणाली के समन्वय के उद्देश्य से, पतंजलि विश्वविद्यालय और पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने देश के तीन प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश
- हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग, छत्तीसगढ़
- महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट, मध्य प्रदेश
यह सहयोग आयुर्वेद, योग और भारतीय दार्शनिक प्रणालियों में अनुसंधान को बढ़ावा देने, भारतीय परंपराओं पर आधारित नए शैक्षणिक पाठ्यक्रम विकसित करने, और पारंपरिक ज्ञान पर आधारित कौशल शिक्षा को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस अवसर पर प्रो. इंद्र प्रसाद त्रिपाठी, डॉ. संजय तिवारी, और प्रो. भरत मिश्रा जैसे वरिष्ठ शिक्षाविद उपस्थित रहे। उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा प्राचीन भारतीय विज्ञानों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली में समाहित करने के प्रयासों की सराहना की।
आचार्य बालकृष्ण, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति और योग तथा आयुर्वेद के प्रसिद्ध प्रचारक, ने विश्वविद्यालय की प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला, जिनमें भारतीय इतिहास का पुनर्लेखन, डायग्नोस्टिक ग्रंथों का संकलन, वनस्पति विज्ञान का दस्तावेजीकरण और वर्ल्ड हर्बल कोडेक्स का निर्माण शामिल हैं।
उन्होंने कहा: “ऋषि क्रांति, योग क्रांति और शिक्षा क्रांति की यह यात्रा लाखों भारतीयों को सशक्त बनाएगी। हम प्राचीन भारतीय विज्ञानों का लाभ पूरे देश और विश्व तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
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मुख्य उद्देश्य:
- आयुर्वेद, योग और भारतीय दर्शन में संयुक्त अनुसंधान
- पारंपरिक ज्ञान आधारित अकादमिक पाठ्यक्रमों का विकास
- सेमिनार, प्रकाशन और शोध आदान-प्रदान कार्यक्रम
- कौशल-आधारित शिक्षा का प्रचार-प्रसार
यह साझेदारी भारत की शैक्षणिक आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने की दिशा में एक मील का पत्थर मानी जा रही है, जिससे भारत को समग्र शिक्षा और सतत स्वास्थ्य पद्धतियों का वैश्विक केंद्र बनाने में मदद मिलेगी।
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Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 30 June 2025 at 13:37 IST