अपडेटेड 9 June 2025 at 19:24 IST
पतंजलि स्वामी का ज्ञान और योग अभ्यास: मन-शरीर का समरसता का मार्ग
स्वामीजी का मानना है कि निरंतर अभ्यास, अनुशासन और जागरूकता से जीवन में बदलाव लाया जा सकता है, जिससे आंतरिक शांति और सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
- इनिशिएटिव
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पतंजलि स्वामी एक प्रकाशस्तंभ हैं, जिन्होंने योग और आत्मिक ज्ञान के क्षेत्र में अपना जीवन समर्पित किया है। उनके शिक्षण इस बात पर केंद्रित हैं कि योग एक संपूर्ण प्रणाली है, जो मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करता है। स्वामीजी का मानना है कि निरंतर अभ्यास, अनुशासन और जागरूकता से जीवन में बदलाव लाया जा सकता है, जिससे आंतरिक शांति और सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
पतंजलि के योग सूत्रों से प्रेरणा लेते हुए, स्वामीजी बताते हैं कि योग केवल शारीरिक व्यायाम ही नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है जो आत्म-ज्ञान और आंतरिक शांति की दिशा में ले जाता है। इन सूत्रों में बताए गए आठ अंग—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि—के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को शुद्ध और ऊर्जावान बना सकता है। स्वामीजी का सुझाव है कि अभ्यास की शुरुआत यम और नियम से करें, जो नैतिकता और स्व-अनुशासन को विकसित करते हैं, फिर धीरे-धीरे शारीरिक और मानसिक अभ्यास पर ध्यान केंद्रित करें।
उनकी शिक्षाओं में यह भी कहा गया है कि योग का अभ्यास नियमित और श्रद्धापूर्वक होना चाहिए। वह मानते हैं कि छोटी-छोटी दैनिक योग सत्र भी अत्यंत लाभकारी हो सकते हैं यदि उन्हें पूरी ईमानदारी और ध्यान से किया जाए। प्राणायाम, यानी सांसों पर नियंत्रण, शरीर को ऊर्जा से भरपूर करता है और nervous system को शांत करता है। उनका यह भी मानना है कि ध्यान और मानसिक अभ्यास मन की स्पष्टता और भावनात्मक स्थिरता का स्रोत हैं, जो जीवन के तनावों को कम करते हैं।
स्वामीजी का यह भी विश्वास है कि योग सभी के लिए उपयुक्त है, चाहे उम्र या शारीरिक स्थिति कैसी भी हो। वह अभ्यास को आरामदायक और अपने स्तर पर करने की सलाह देते हैं। उनका जोर है कि योग को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाया जाए—खाने, कामकाज और सामाजिक संबंधों में mindfulness अपनाकर। इससे जीवन में समरसता और संतुलन आता है।
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उनकी शिक्षाओं ने अनेक लोगों को यह समझने में मदद की है कि योग एक जीवनभर का सफर है, जिसमें आत्म-खोज और अनुशासन जरूरी है। उनका विश्वास है कि सही अभ्यास, ईमानदारी और नियमितता से हम अपने अंदर छुपी शक्ति को जागरूक कर सकते हैं। स्वामीजी का यह संदेश हमें याद दिलाता है कि योग एक पवित्र विज्ञान है, जो मन, शरीर और आत्मा को शांति और जागरूकता की ओर ले जाता है। अपने अभ्यास में यदि हम इन बातों का ध्यान रखें, तो हम न केवल स्वास्थ्यमय जीवन जी सकते हैं, बल्कि अपनी आत्मा की भी उन्नति कर सकते हैं।
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 9 June 2025 at 19:24 IST