अपडेटेड 7 July 2025 at 20:26 IST
पतंजलि ने स्लज वेस्ट में विषाक्तता का स्तर जांचने के लिए किया अध्ययन
पतंजलि ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि कृषि में इस्तेमाल हो रहे स्लज वेस्ट की विषाक्तता और सुरक्षा का स्तर जांचा जाए।
- इनिशिएटिव
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सतत और पर्यावरण मित्रतापूर्ण खेती के बढ़ते महत्व के बीच, पतंजलि ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि कृषि में इस्तेमाल हो रहे स्लज वेस्ट की विषाक्तता और सुरक्षा का स्तर जांचा जाए। व wastewater treatment से निकलने वाले इस स्लज का उपयोग मिट्टी सुधारक या उर्वरक के रूप में किया जाता रहा है, लेकिन इसमें मौजूद हानिकारक रासायनिक पदार्थों और भारी धातुओं को लेकर चिंता बनी रहती है। इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए, पतंजलि ने इस वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके से परीक्षण करने का फैसला किया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या यह सुरक्षित है या नहीं।
यह परीक्षण प्रक्रिया स्लज के नमूनों को इकट्ठा कर उन्हें विभिन्न उपचार विधियों से पास किया गया है, ताकि विषाक्त पदार्थों जैसे भारी धातुएं, रासायनिक प्रदूषक और रोगाणु का स्तर पता चल सके। इन परीक्षणों का उद्देश्य यह है कि इन विषाक्त पदार्थों का स्तर मानक सीमा के भीतर है या नहीं। यदि यह मानक सीमा के भीतर पाया जाता है, तो इस स्लज का प्रयोग खेती में किया जा सकता है, जिससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी और जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।
किसान और पर्यावरण की सुरक्षा सर्वोपरि-पतंजलि
प्रारंभिक परिणाम उत्साहजनक हैं। जांच में पता चला है कि सही और गंभीर उपचार के बाद, स्लज में मौजूद विषाक्त पदार्थों का स्तर काफी कम हो जाता है, और यह खेती के लिए सुरक्षित हो सकता है। यह भी स्पष्ट है कि इस प्रक्रिया को तभी सफल माना जाएगा जब सभी मानकों का पालन किया जाए। पतंजलि इस बात पर जोर देता है कि किसान और पर्यावरण की सुरक्षा सर्वोपरि है, इसलिए कठोर परीक्षण और मानकों का पालन जरूरी है।
यह पहल टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक विकल्प बढ़ेंगे, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार भी संभव है। यह कचरे का प्रबंधन और पुनः उपयोग का एक प्रभावी तरीका हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां व wastewater का विशाल स्तर है। पतंजलि का यह कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक नई उम्मीद जगाता है, जो वैज्ञानिक परीक्षणों और मानकों का पालन कर सुरक्षित एवं टिकाऊ कृषि का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। यदि इसे व्यापक रूप से अपनाया जाता है, तो यह पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल बन सकता है, जिससे हम अधिक स्वच्छ और हरित वातावरण की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
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Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 7 July 2025 at 20:26 IST